भोपाल: कानूनी फेर (legal change) में उलझे मध्य प्रदेश के 3 विधायकों की सदस्यता (Membership of 3 MLAs) दांव पर लगी है. इसमें दो बीजेपी और एक कांग्रेस के विधायक (Congress MLA) हैं. बीजेपी के एक विधायक को निर्वाचन आयोग (Election Commission) से जानकर छिपाने का आरोप लगा है, तो दूसरे का जाति प्रमाणपत्र (caste certificate) नकली पाया गया. इन दोनों की विधानसभा सदस्यता (assembly membership) रद्द करने का आदेश हाई कोर्ट ने दिया है. वहीं,कांग्रेस के विधायक जमीन फर्जीवाड़े (land fraud) में दो साल सजा मिलने के कारण संकट में हैं.
सबसे पहले बात करते हैं सुमावली से कांग्रेस विधायक अजब सिंह कुशवाह की. ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक विधायक ऐदल सिंह कंसाना के बीजेपी में शामिल होने के बाद नवंबर 2020 में सुमावली में उपचुनाव हुआ था. इसमें कांग्रेस के उम्मीदवार अजब सिंह कुशवाह ने बीजेपी के ऐदल सिंह कंसाना को हरा दिया और विधायक चुने गए. विधायक बनने के बाद अजब सिंह कुशवाह कानूनी मुश्किल में फंस गए. उनपर सरकारी जमीन बेचने के आरोप लगे.
इस मामले में अजब सिंह के खिलाफ ग्वालियर के महाराजपुरा थाने में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज हुई. आरोप लगाया गया कि विधायक ने सरकारी जमीन को लगभग 75 लाख में बेच दिया है. मामले में पुरुषोत्तम शाक्य ने आरोप लगाया कि विधायक अजब सिंह ने यह जमीन उन्हें बेची थी, लेकिन कब्जा नहीं मिला. बताया गया कि इस मामले पर सुनवाई करते हुए ग्वालियर के जिला न्यायालय ने विधायक अजब सिंह सहित अन्य लोगों को दो-दो साल की सजा सुनाई है. इसके साथ 10-10 हजार का जुर्माना भी लगाया. नियमानुसार अगर किसी विधायक को दो साल या उससे अधिक की सजा होती है तो उसकी विधानसभा से सदस्यता चली जाती है. साथ ही वह 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता. कोर्ट के इस फैसले के बाद कांग्रेस विधायक की सदस्यता पर संकट मंडराने लगा है.
अशोकनगर से बीजेपी विधायक जजपाल सिंह जज्जी पर तो एक दिन पहले ही न्यायालय का कहर टूटा है. सोमवार को एमपी हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक बीजेपी विधायक जजपाल सिंह जज्जी का जाति प्रमाणपत्र निरस्त कर उनके खिलाफ केस दर्ज करने के निर्देश दिए हैं. विधायक जज्जी पर 50 हजार का जुर्माना लगाने के साथ ही विधानसभा सदस्यता निरस्त करने के लिए भी कहा गया है. अशोकनगर विधायक जज्जी ने अनुसूचित जाति के फर्जी प्रमाण पत्र का उपयोग कर आरक्षित सीट से चुनाव जीता था.
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भतीजे राहुल सिंह लोधी की विधायकी छीनने के आदेश पिछले हफ्ते एमपी हाई कोर्ट की मेन बेंच से हुआ है. राहुल सिंह लोधी टीकमगढ़ जिले की खरगापुर विधानसभा से साल 2018 में पहली बार विधायक बने. इसके बाद कांग्रेस प्रत्याशी चंदा रानी गौर ने राहुल लोधी द्वारा निर्वाचन पत्रों में जानकारी छिपाने के आरोप में हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी. याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने आरोप सही पाए और हुए राहुल लोधी का निर्वाचन शून्य घोषित कर दिया.
फिलहाल, राहुल लोधी इस मामले की अपील करने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. वहीं, चंदा रानी गौर की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में केवियट फाइल की गई है. अगर सुप्रीम कोर्ट से लोधी को स्टे नहीं मिला, तो उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द हो जाएगी. जानकारी के अनुसार, विधानसभा ने सुमावली विधायक अजब सिंह कुशवाह को सजा सुनाए जाने के बाद उनके वेतन-भत्ते रोक दिए हैं. वहीं, राहुल लोधी और जजपाल जज्जी को नोटिस जारी किए गए हैं. जानकार कहते है कि दोनों विधायकों की तरफ से जवाब आने के बाद आगे कार्रवाई होगी. अगर इन विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से स्टे नहीं मिला तो सदस्यता रद्द करने की कार्रवाई विधानसभा की ओर से की जाएगी.
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