नई दिल्ली: कर्नाटक (Karnataka) में हिजाब को लेकर उठे विवाद पर हाईकोर्ट (High Court) ने मंगलवार को अहम फैसला सुना दिया है. अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि इस्लाम में हिजाब (Hijab) पहनना अनिवार्य नहीं है. साथ ही छात्राओं को स्कूल के नियमों का पालन करना होगा. कोर्ट के फैसले के बाद लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने इस फैसले को बेहद निराशाजनक बताया है.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने हिजाब पर प्रतिबंध को बरकरार रखने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को ‘‘बेहद निराशाजनक’’ बताते हुए मंगलवार को कहा कि यह केवल धर्म की बात नहीं है, बल्कि चयन की स्वतंत्रता की भी बात है. महबूबा ने ट्वीट किया, ‘कर्नाटक हाईकोर्ट का हिजाब प्रतिबंध को बरकरार रखने का फैसला अत्यंत निराशाजनक है. एक तरफ हम महिला सशक्तीकरण की बात करते हैं और दूसरी तरफ हम उन्हें एक सरल चयन का अधिकार भी देने से इनकार कर रहे हैं. यह केवल धर्म की बात नहीं है, बल्कि चयन की स्वतंत्रता की भी बात है.’
Karnataka HC’s decision to uphold the Hijab ban is deeply disappointing. On one hand we talk about empowering women yet we are denying them the right to a simple choice. Its isn’t just about religion but the freedom to choose.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) March 15, 2022
उमर अब्दुल्ला ने कहा-हिजाब सिर्फ एक कपड़ा नहीं
नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने इस फैसले पर निराशा जताते हुए कहा कि आप चाहें जो भी जो सोचें, लेकिन यह महज एक कपड़े की बात नहीं है. यह एक महिला के अधिकार की बात है कि वह क्या पहनना चाहती है. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आधारभूत अधिकारों का ध्यान नहीं रखा.
Very disappointed by the verdict of the Karnataka High Court. Regardless of what you may think about the hijab it’s not about an item of clothing, it’s about the right of a woman to choose how she wants to dress. That the court didn’t uphold this basic right is a travesty.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) March 15, 2022
कर्नाटक हाईकोर्ट ने क्लास में हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध करने वाली उडुपी में ‘गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज’ की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग की याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि स्कूल की वर्दी का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकतीं.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved