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    महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी का विस्तार कानून का दुरुपयोग : चिदंबरम

  • August 01, 2020

    नई दिल्ली। पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ़्ती की नजरबन्दी को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी का विस्तार कानून का दुरुपयोग है। यह एक प्रकार से नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन है। इस दौरान उन्होंने महबूबा की रिहाई के लिए सभी को मिलकर आवाज उठाने की अपील की।

    पी चिदंबरम ने शनिवार को ट्वीट कर कहा कि पीएसए के तहत महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी का विस्तार कानून का दुरुपयोग है और नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों पर हमला है। उन्होंने पूछा कि 61 वर्षीय पूर्व मुख्यमंत्री, जो चौबीसों घंटे सुरक्षा गार्ड से संरक्षित हैं वो सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा कैसे है? वही पूर्व सीएम की नजरबन्दी के लिए दिए कारण को हास्यास्पद बताते हुए कहा कि पार्टी के झंडे के रंग को लेकर कार्रवाई की गई, जो गलत है।

    कांग्रेस नेता ने केंद्र से सवाल किया कि आखिर अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के खिलाफ क्यों नहीं बोलन चाहिए? क्या यह स्वतंत्र भाषण के अधिकार का हिस्सा नहीं है? उन्होंने कहा, ‘मैं अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाले सुप्रीम कोर्ट में एक मामले में पेश वकील में से एक हूं। अगर मैं अनुच्छेद 370 के खिलाफ बोलूं- जैसा कि मुझे करना चाहिए – क्या यह सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा है?’ चिदंबरम ने कहा कि आवश्यकता है आज हम सामूहिक रूप से अपनी आवाज़ बुलंद करें और मेहबूबा मुफ़्ती को रिहाई की मांग करें। (एजेंसी, हि.स.)

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