नई दिल्ली। अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान शासन (Taliban Rule) को लेकर दुनियाभर के देशों में चिंता है. भले ही तालिबान (Taliban) अपने कुछ कदमों के जरिए नर्म रुख पेश करने की कोशिश करता रहा है लेकिन उसे लेकर संशय अभी बरकरार है. इसी क्रम में रूसी विदेश मंत्रालय (Russian Foreign Ministry) ने मंगलवार को घोषणा की कि आज तालिबान(Taliban) के साथ दस देशों की बैठक होगी. इन देशों में भारत भी शामिल है. बैठक में अफगानिस्तान के भविष्य और समावेशी सरकार को लेकर चर्चा की जाएगी.
सितंबर महीने के पहले सप्ताह में तालिबान की अंतरिम सरकार की घोषणा के बाद इस बैठक को सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है. तालिबान को अफगानिस्तान की स्थिति संभालने के लिए दुनिया के देशों से न सिर्फ मान्यता चाहिए बल्कि उसे आर्थिक मदद की भी जरूरत है. आज की बैठक में रूस, भारत के अलावा चीन, पाकिस्तान, ईरान और मध्य एशियाई देश तालिबान के साथ बातचीत करेंगे. बैठक के बाद एक संयुक्त बयान भी जारी किया जाएगा. अमेरिका भी इस बैठक में शामिल होने वाला था लेकिन अभी वो हिस्सा नहीं ले पाएगा. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वो आगे इस फोरम की बैठक में शामिल होगा.
भारत के साथ दूसरी बार बातचीत
भारत की तालिबान के साथ ये दूसरी बातचीत होगी. इससे पहले 31 अगस्त को भारत और तालिबान के बीच बातचीत हुई थी. लेकिन यह मुलाकात तालिबान की अंतरिम सरकार बनने से पहले हुई थी. आज की मुलाकात सरकार बनने के बाद पहली औपचारिक मुलाकात होगी.
तालिबान को अभी मान्यता नहीं देगा रूस
बैठक से पहले रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने साफ कर दिया है कि रूस अभी तालिबान को मान्यता नहीं देने जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस्लामिक संगठन को अभी अपने उन वादों पर खरा उतरना बाकी है जो उसने सरकार बनाने पर किए थे. उन्होंने समावेशी सरकार बनाने का वादा भी याद दिलाया है.
सरकार में दोहा टीम को दरकिनार किया
दरअसल तालिबान की अंतरिम सरकार में शांति वार्ता करने वाली दोहा टीम को बिल्कुल दरकिनार कर दिया गया. समावेशी सरकार के वादों के बावजूद बाहरी लोगों को बिल्कुल जगह नहीं दी गई. पाकिस्तान पोषित आतंकी संगठन हक्कानी गुट के लोगों ने मंत्रिमंडल में कई पद हथिया लिए. इसे लेकर तालिबान के भीतर भी विवाद बढ़ने की खबरें आई हैं. अब यह देखना होगा कि आज की बैठक में अफगानिस्तान के भविष्य की क्या दशा-दिशा तय होती है.
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