बीजिंग। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की ओर से लोकतांत्रिक सम्मेलन का न्योता न मिलने के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और चीन के शी जिनपिंग के बीच आज (बुधवार) को मुलाकात होगी। दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच यह इस साल की दूसरी वर्चुअल मुलाकात है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह मुलाकात महाशक्तियों के बीच वैचारिक मतभेदों का परिणाम है।
संबंधों को मजबूत कर रहे चीन और रूस
पश्चिम देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच रूस और चीन अपने संबंधों को लगातार मजबूत करने में लगे हुए हैं। हालांकि, दोनों देशों के बीच यह मुलाकातें व्यापार और ऊर्जा पर ही केंद्रित हैं। इसके बावजूद मास्को और बीजिंग के बीच बढ़ती नजदीकी पर कई देश नजरें टिकाए हुए हैं। गौरतलब है कि चीन और रूस ईरान, सीरिया और वेनेजुएला के संबंध में विदेश नीति में समान दृष्टिकोण रखते हैं।
अमेरिका के लिए क्या हैं मुलाकात के मायने
पुतिन और जिनपिंग की इस मुलाकात पर सबसे ज्यादा निगाहें व्हाइट हाउस की टिकी हुई हैं। दरअसल, पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पुतिन को चेतावनी दी कि यदि रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो वे उसे दर्दनाक पाबंदियों के साथ सख्त आर्थिक क्षति पहुंचाएंगे। उधर, अमेरिका ने उइगरों के साथ मानवाधिकार मुद्दों को लेकर चीन का भी विरोध किया है। ऐसे में यह मुलाकात मॉस्को और पश्चिमी देशों के बीच यूक्रेन की सीमा पर हजारों रूसी सैनिकों के जमावड़े के दौरान होने जा रही है।
अमेरिका ने नहीं दिया था न्योता
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की ओर से 100 से ज्यादा देशों के लिए लोकतांत्रित वर्चुअल सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में चीन और रूस के अलावा कई देशों के आमंत्रण नहीं दिया गया। ऐसे में अब दोनों देश खुद एक वर्चुअल सम्मेलन के माध्यम से मिलने जा रहे हैं।
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