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    मेरठ के इंजीनियर का दावा, उसकी तैयार डिवाइस से ऑटोमेटिक ऑन-ऑफ हो जाएगी पूरे शहर की स्ट्रीट लाइट

  • May 25, 2022

    मेरठ। आमतौर पर आपने अपने शहर में भी देखा होगा कि स्ट्रीट लाइट (Street lights) कैसे दिन के उजाले में भी जलती रहती हैं। उसे ऑफ करने की सुध कोई नहीं लेता है. इससे न जाने कितनी यूनिट बिजली बर्बाद (power wasted) होती है. सरकार को करोड़ों का चूना (Government lost crores) लगता है, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता. मेरठ के एक इंजीनियर (an engineer from Meerut) का दावा है कि उसने एक ऐसी डिवाइस (Electricity saving device) तैयार की है कि अगर उसे शहर की अलग अलग स्ट्रीट में लगा दिया जाए तो समूचे शहर की स्ट्रीट लाइट (city ​​street lights) एक ही जगह से कंट्रोल होंगी और वो ऑटोमेटिक ऑफ या ऑन हो जाएंगी।


    आमतौर पर हर शहर में ये तस्वीर दिख जाएगी कि कैसे दिन के उजाले में भी स्ट्रीट लाइट जला करती हैं. इसी को देखते हुए मेरठ के एक इंजीनियर ने शानदार प्रयोग किया है. मेरठ के रहने वाले इंजीनियर महेश पाल का दावा है कि उन्होंने एक ऐसा डिवाइस तैयार किया है जिससे समूचे शहर की स्ट्रीट लाइट को एक जगह बैठकर कंट्रोल किया जा सकता है। उनका कहना है कि इससे समूचे शहर की स्ट्रीट लाइट एक साथ ऑन होगी और उसे एक साथ ऑफ भी किया जा सकता है. इससे बिजली की खपत भी कम होगी।

    कोरोनाकाल में किया था आविष्कार
    इंजीनियर महेश पाल का कहना है कि इससे न केवल बिजली की खपत कम होगी, बल्कि सरकार को सालाना करोड़ों रुपये की बचत भी होगी. इंजीनियर का कहना है कि उसे इस प्रयोग को करने का ख्याल यूं आया कि उनके घर के बाहर लगी स्ट्रीट लाइट लगातार जलती रहती है. इंजीनियर का कहना है कि कोरोनाकाल के दौरान ढाई वर्षों में उन्होंने इसका आविष्कार किया है।

    करोड़ों रुपये बचा सकती है सरकार
    महेश पाल का कहना है कि अगर एक शहर में ही अगर इस डिवाइस को लगा दिया जाए तो सालाना छह करोड़ का लाभ होगा. अगर यूपी के सभी 75 ज़िलों में इस डिवाइस का इस्तेमाल हो तो सरकार को सैकड़ों करोड़ का लाभ होगा. साथ ही बिजली यूनिट की खपत भी कम होगी। इंजीनियर महेश पाल सीएम से गुहार लगा रहे हैं कि उनके इस प्रयोग को देखा जाए और इसे इम्पलीमेंट किया जाए।

    डिवाइस से इंचार्ज को पता रहेगा कि स्ट्रीट लाइट ऑन है या ऑफ
    महेश पाल का कहना है कि इससे वेस्टेज ऑफ इलेक्ट्रिसिटी नहीं हो पाएगी, क्योंकि इस सॉफ्टवेयर से संबंधित इंचार्ज को पता चल जाएगा कि कहां की लाइट ऑफ है और कहां की खराब है. साथ ही करेक्ट टाइम पर लाइट ऑन होगी करेक्ट टाइम में ऑफ होगी. उनका दावा है कि इससे ज़ीरो वेस्टेज़ ऑफ इलेक्ट्रिसिटी होगी।

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