नई दिल्ली (New Delhi)। बदलती हुई जीवनशैली (Changing lifestyle) और महंगी होती स्वास्थ्य सुविधाओं (expensive health facilities) के चलते मेडिक्लेम (Mediclaim) अब हर आदमी की जरुरत (every man needs) बन गया है. इससे ना सिर्फ आपको बल्कि पूरे परिवार को बीमारियों (diseases for the entire family) के महंगे इलाज (Expensive treatment) से निपटने में काफी मदद मिल जाती है. हालांकि, कई बार लोग ऐसी छोटी-छोटी गलतियां करते हैं, जो आगे जाकर बहुत भारी पड़ जाती हैं. इससे कठिन समय में पॉलिसी का कोई फायदा नहीं मिल पाता और आपका क्लेम रिजेक्ट हो जाता है. आइए समझ लेते हैं कि कैसे अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी (health insurance policy) को फुल प्रूफ बनाकर क्लेम (Claim by making full proof) का पूरा लाभ उठा सकते हैं।
पॉलिसी की शर्तों को ध्यान से पढ़ें
हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट होने के कुछ खास कारण होते हैं. इनकी सबसे बड़ी वजह पॉलिसी लेते समय उसकी शर्तों को ध्यान से नहीं पढ़ना होता है. इनमें सबसे बड़ी वजह अपनी बीमारी को छिपाना होता है. यदि आप पहले से ही अपनी बीमारी के बारे में बता देंगे तो न सिर्फ बेहतर पॉलिसी आपको मिल जाएगी बल्कि क्लेम के समय दिक्कत भी नहीं आएगी. कई बार तो बीमा कंपनी आपकी पॉलिसी भी रिजेक्ट कर सकती है.।
कौन सी बीमारियां नहीं होती कवर
कई बीमारियां मेडिक्लेम में तुरंत कवर नहीं होतीं. इनके लिए आपको 1 से 4 साल तक इंतजार करना पड़ेगा. शुरुआती सालों में आप इन बीमारियों के इलाज के लिए क्लेम नहीं ले सकते. इसके अलावा किडनी, पर्किंसंस, अल्जाइमर और एचआईवी मेडिक्लेम में शामिल ही नहीं होतीं. इसलिए सोच समझकर पॉलिसी लें।
इलाज के डॉक्यूमेंट संभालकर रखें
यदि आपने पॉलिसी लेते वक्त पूरे डॉक्यूमेंट जमा नहीं कराए थे तो क्लेम के वक्त मुसीबत आ सकती है. साथ ही इलाज के दौरान मिले सभी बिलों की ओरीजनल कॉपी हमेशा सुरक्षित रखें. ये आपसे कभी भी मांगे जा सकते हैं. हॉस्पिटल के बिल, डिस्चार्ज के कागज और पेशेंट रिकॉर्ड को क्लेम के दौरान अटैच करेंगे तो कोई भी आपका क्लेम रिजेक्ट नहीं कर पाएगा।
फ्रॉड क्लेम कभी भी ना करें
कभी भी फ्रॉड क्लेम न करें. डिजिटल वर्ल्ड में ये आसानी से पकड़ में आ जाते हैं. क्लेम का मिलना तो संभव नहीं आपकी पॉलिसी जरूर रिजेक्ट हो सकती है. हॉस्पिटल के साथ मिलकर नकली बिल बनाने के लिए हॉस्पिटल को ब्लैकलिस्ट या पैनल से हटाया भी जा सकता है।
लिखित में कारण बताती है कंपनी
क्लेम रिजेक्ट करते वक्त बीमा कंपनी को लिखित में कारण बताना पड़ता है. यदि आप नहीं चाहते कि क्लेम खारिज हो तो सिर्फ इन चीजों पर ध्यान दें. बीमा कराते वक्त सभी शर्तों को ध्यान से पढ़ें. कई बार एजेंट आपसे कुछ चीजें छिपा ले जाते हैं. आगे जाकर वही शर्त क्लेम रिजेक्शन का कारण बन जाती है. कोशिश करें कि कैशलेस इलाज की सुविधा हर हाल में आपकी पॉलिसी में हो. कोई भी शंका हो तो कस्टमर केयर में जरूर बात करें।
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