नई दिल्ली। देश में बढ़ रहीं नकली दवाओं की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार ने दवाओं पर क्यूआर कोड लगाने का आदेश जारी किया है। ड्रग्स कंट्रोल जनरल ऑफ इंडिया ने 300 फार्मा कंपनियों को 1 अगस्त 2023 से क्यूआर कोड (QR Code) लगाने का आदेश दिया है। आदेश के मुताबिक देश के टॉप 300 दवा ब्रांड को अपनी दवाओं पर क्यूआर कोड लगाना होगा। DCGI का आदेश नहीं मानने पर दवा कंपनी को जुर्माना देना होगा।
किन दवा पर लगेगा क्यूआर कोड?
देश की टॉप फार्मा कंपनियां आज से अपनी दवाओं पर क्यूआर कोड लगाएंगे। एलिग्रा, शेलकेल, काल्पोल, डोलो और मेफ्टेल जैसी दवाएं इसमें शामिल हैं। ड्रग्स कंट्रोल जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने बताया है कि जो भी कंपनी इस आदेश को पूरा नहीं करेगी उसे जुर्माने के दायरे में रखा जाएगा। केंद्र सरकार ने कुल 300 दवाओं पर क्यूआर कोड लगाने का आदेश दिया है।
क्यूआर कोड से क्या होगा फायदा?
क्यूआर कोड स्कैन कर ग्राहक दवा से जुड़ी बुनियादी जानकारी हासिल कर सकते हैं। यूनिक प्रोडेक्ट आइडेंटिफिकेशन कोड के द्वारा दवा का जेनेरिक नाम, ब्रांड का नाम, मैन्यूफैक्चरर का नाम, दवा की मैन्युफैक्चरिंग तारीख के साथ-साथ उसकी एक्सपायरी डेट और दवा बनाने वाली कंपनी का लाइसेंस नंबर भी पता चल जाएगा।
केंद्र ने क्यों लिया ऐसा फैसला?
आपको बता दें कि देश में बढ़ते नकली दवा के कारोबार को रोकने के लिए सरकार ने यह कड़ा कदम उठाया है। नवंबर 2022 में केंद्र सरकार ने बताया था कि वह दवाओं पर क्यूआर कोड लाने की प्रक्रिया में है। हाल में ही इसके संबंधित नोटिफिकेशन जारी कर बताया गया कि 1 अगस्त 2023 से देश की प्रमुख फार्मा कंपनी अपनी दवाओं पर क्यूआर कोड लगाएंगी। सरकार ने इसके लिए ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 में संशोधन कर क्यूआर कोड लगाना अनिवार्य कर दिया है।
दवाओं के दाम में हो सकती है बढ़ोतरी
आईडीएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष विरंची शाह ने बताया है कि “1 अगस्त 2023 के बाद बनने वाली 300 कंपनियों के ब्रांड के बैच में पैकेजिंग पर क्यूआर कोड डाले जाएंगे। सरकार के इस कदम का असर एलेग्रा, डोलो, ऑगमेंटिन, एस्थलिन, लिम्सी, सेरिडॉन, कोरेक्स, कालपोल, अनवांटेड-72 और थायरोनॉर्म जैसे लोकप्रिय दवा ब्रांड पर पड़ेगा। इन ब्रांड की दवाएं अधिक मात्रा में बाजार में बिकती हैं और उन्हें सालाना कारोबार या सालाना बिक्री के आधार पर छांटा गया है।” सूत्रों ने बताया है कि सरकार के इस फैसले से दवा की कीमत 5 से 7 फीसदी तक बढ़ सकता है। जानकारों का मानना है कि फार्मा कंपनियों को अलग से बैच पर क्यूआर कोड छपवाई करवाना पड़ेगा जिसके कारण दवा महंगी हो सकती है।
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