नई दिल्ली: साल 2020 में जिस समय पूरी दुनिया में कोविड-19 महामारी फैली थी, उस समय ऑक्सीजन सिलेंडर को लेकर पूरे देश में पैनिक फैला हुआ था. हर तरफ ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए लोग संघर्ष कर रहे थे और बड़ी समस्या का सामना कर रहे थे. सब तरफ ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग थी और कई लोगों की जान ऑक्सीजन की कमी की वजह से गईं.
हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई है जो बताती है कि दुनिया की दो-तिहाई आबादी को मेडिकल ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं है. मेडिकल ऑक्सीजन जो कि बीमारी के इलाज में, सर्जरी में अहम रोल निभाता है उसकी कमी का संकट भारत में भी है. लैंसेट कमीशन की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में पांच अरब लोगों को मेडिकल ऑक्सीजन की कमी है. मेडिकल ऑक्सीजन को हासिल करने में सबसे बड़ी कमी लो (Low) और मिडिल क्लास (Middle Class) देशों में हैं.
मेडिकल ऑक्सीजन हेल्थकेयर सिस्टम में बहुत अहम रोल निभाती है. इस ऑक्सीजन में किसी भी तरह की अशुद्धि (Impurities) नहीं होती है. मेडिकल ऑक्सीजन को लोगों का इलाज करने, सर्जरी करने, अस्थमा और बच्चों को ठीक करने समेत कई चीजों में किया जाता है. साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया ने जिस तरह कोविड-19 का सामना किया वैसे हालात दोबारा पैदा न हो इस में यह ऑक्सीजन मदद करेगी.
मेडिकल ऑक्सीजन सुरक्षा पर लैंसेट ग्लोबल हेल्थ कमीशन की रिपोर्ट दुनिया की पहली एक ऐसी स्टडी है जो बताती है कि दुनिया में कितने भेदभाव के साथ मेडिकल ऑक्सीजन को बांटा गया है. इस स्टडी में रिसर्चर ने कहा कि जिन 82 प्रतिशत लोगों को मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत होती हैं वो लो और मिडिल क्लास इनकम देशों में रहते हैं. इन 82 प्रतिशित लोगों में से लगभग 70 प्रतिशत दक्षिण और पूर्वी एशिया, प्रशांत और सब-सहारा अफ्रीका में रहते हैं. जिन लोगों को दुनिया में मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत है वो बड़ी मेडिकल कंडीशन का सामना कर रहे हैं. Chronic obstructive pulmonary disease की वजह से उन्हें मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है.
हालांकि, रिसर्च के मुताबिक, जब तीन लोगों को मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत होती है तो तीन में से एक से भी कम लोगों को मेडिकल ऑक्सीजन मिल पाती है. इसी के चलते लगभग 70 प्रतिशत मरीज बिना मेडिकल ऑक्सीजन के रह जाते हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि मेडिकल ऑक्सीजन की कमी का संकट सब-सहारन अफ्रीका में सबसे ज्यादा है. यहां 91 प्रतिशत मेडिल ऑक्सीजन की कमी है. इसी के साथ साउथ एशिया भी इस संकट के घेरे में है. साउथ एशिया में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान जैसे देश शामिल है. साउथ एशिया में 78 प्रतिशत मेडिकल ऑक्सीजन की कमी है.
रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि कैसे सरकारें, इंडस्ट्री, ग्लोबल हेल्थ एजेंसियां, शैक्षणिक संस्थान और सिविल सोसाइटी मिल कर मेडिकल ऑक्सीजन लोगों तक पहुंचा सकते हैं. साथ ही रिसर्चर ने कहा कि मेडिकल ऑक्सीजन ग्लोबल पब्लिक हेल्थ को आगे बढ़ाने के लिए बेहद जरूरी है.
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