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महिला स्वावलंबन के सार्थक प्रयास

March 10, 2022

– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

नरेंद्र मोदी सरकार ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़़ाओ अभियान का शुभारंभ किया था। पिछले कुछ वर्षों में यह सार्थक रूप में आगे बढ़ा है। यह अभियान का व्यापक निहितार्थ है। इसमें बेटियों के प्रति सम्मान उनके स्वास्थ्य शिक्षा सुरक्षा के विषय शामिल है। इसके साथ ही महिला स्वावलंबन पर भी बल दिया गया। यह माना गया कि आधी आबादी को उपेक्षित कर कोई देश विकास नहीं कर सकता है। बालिकाओं व महिलाओं को जहां उचित अवसर मिला उन्होंने बेहतर ढंग से कार्य किया।

इतिहास में भी ऐसे उदाहरणों की कमी नहीं है। वैदिक काल में महिलाओं ने ऋचाओं की रचना की। वह विद्वतापूर्ण शास्त्रार्थ में सहभागी होती थी। युद्ध क्षेत्र में उनकी भूमिका वीरांगना के रूप में रहती थी। विदेशी आक्रांताओं के समय से महिलाओं को उपेक्षा शुरू हुई थी। इस कारण हमारे समाज में अनेक कमजोरियों ने जगह बना ली। कुछ वर्ष पहले तक बेसिक स्कूलों में शौचालय ना होने के कारण बालिकाएं आगे की पढ़ाई छोड़ने को विवश हो जाती थी। नरेंद्र मोदी सरकार ने इस समस्या के समाधान पर ध्यान दिया। उनके स्वच्छ भारत अभियान में यह विषय शामिल था।

भारत में प्राचीन काल से ही महिलाओं के सम्मान की परंपरा और संस्कृति रही है। महिलाओं की प्रगति देश को मजबूत बनाती है। सरकार महिलाओं और बेटियों को उनके सपने पूरे करने के लिए उनकी प्रगति के लिए वित्तीय मदद प्रदान कर रही है। सरकार ने मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किया है। कार्यस्थल में महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त कानून लागू किए हैं। बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों के लिए मृत्युदंड तय किया गया है। महिलाओं को सेना में उच्च रैंक तक प्रमोट किया जा रहा है। सैनिक स्कूलों में बेटियों को दाखिले देने की प्रक्रिया शुरू की गई है। कोशिश की जा रही है कि बेटियों की शादी की उम्र 18 से 21 की जाए। बालिकाओं की शिक्षा का विस्तार किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दो करोड़ घर बनाए गए हैं। पहले महिलाओं को संपत्ति का अधिकार नहीं होता था। आज इस योजना से उन्हें यह अधिकार मिल रहा है। जनधन योजना के माध्यम से तेईस करोड़ महिलाओं के खाते खोले गए हैं। नौ करोड़ महिलाओं को उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन दिए गए हैं। साथ ही यह सुनिश्चित किया गया है कि महिलाओं को शौच के लिए घर से बाहर न जाना पड़े। वोकल फॉर लोकल अभियान के माध्यम से महिलाओं को स्वावलंबी बनाया जा रहा है।

कोरोना कालखंड में भी महिलाओं ने उल्लेखनीय भूमिका का निर्वाह किया है। आशा कार्यकर्ता गांव के प्रत्येक घरों तक सर्वे किया। दवाई पहुंचाई। इसके बाद टीकाकरण में भी पूरा योगदान दिया। हर घर दस्तक अभियान के अंतर्गत आशा कार्यकर्ता हर घर में पहुंचीं। टीकाकरण को बढ़ावा दिया। अभियान की सफलता में महिलाओं का योगदान बहुत लाभप्रद साबित हुआ है। केंद्र सरकार ने कोरोना और अन्य कारणों के चलते स्कूल छोड़ चुकी 11 से 14 आयुवर्ग की बालिकाओं को फिर से स्कूली शिक्षा में जोड़ने के लिये कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव अभियान शुरू किया है। यह अभियान अधिक से अधिक लड़कियों के लिए शिक्षा प्राप्ति सुनिश्चित करेगा।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने शिक्षा मंत्रालय और यूनीसेफ के साथ मिलकर औपचारिक शिक्षा या कौशल प्रणाली की तरफ किशोरियों को वापस स्कूल लाने के लिये एक अभूतपूर्व अभियान कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव का शुभारंभ किया। इससे स्कूल छोड़ने वाली चार लाख से अधिक किशोरियों को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सहित अन्य योजनाओं का लाभ मिलेगा।

वर्तमान केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार ने महिला सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया। इसके दृष्टिगत सामाजिक जागरूकता के साथ ही महिला स्वावलंबन संबधी अनेक योजनाओं को लागू किया गया। विगत कुछ वर्षों में महिला सम्मान व स्वालंबन संबधी अनेक उल्लेखनीय कार्य किये गए। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मिशन शक्ति योजना लागू की। इसके माध्यम से समाज में जागरूकता का सन्देश दिया गया। महिला सम्मान व स्वावलंबन में समाज की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है। यह कार्य केवल सरकार के द्वारा नहीं हो सकता। समाज की चेतना अपरिहार्य होती है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के माध्यम से देश की चेतना को जगाने का प्रयास किया गया। इससे अनेक राज्यों में बेटियों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई।

योगी आदित्यनाथ ने मिशन शक्ति के दूसरे चरण का शुभारंभ महिला दिवस के अवसर पर किया था। उन्होंने इस अवसर पर शास्त्रों की सूक्ति का उल्लेख किया-
नास्ति मातृसमा छाया, नास्ति मातृसमा गतिः।
नास्ति मातृसमं त्राण, नास्ति मातृसमा प्रपा।।

माता के समान कोई छाया नहीं है, माता के समान कोई सहारा नहीं है। माता के समान कोई रक्षक नहीं है, माता के समान कोई प्रिय नहीं है और इस विश्व में माता के समान कोई जीवनदाता नहीं है। नारी सुरक्षा, नारी सम्मान और नारी स्वावलंबन एक साथ जुड़ेंगे तो नारी सशक्तिकरण का लक्ष्य स्वतः ही प्राप्त होगा।

महिला स्वावलंबन संबधी सुमंगला योजना का शुभारंभ भी योगी आदित्यनाथ ने किया था। अपने ढंग की यह अभिनव योजना है। इसमें बेटियों को शिक्षित व स्वावलंबी बनाने का उद्देश्य निर्धारित किया गया। इसके अलावा वूमेन पावर लाइन पर आने वाली शिकायतों की समीक्षा करते हुए इनके त्वरित समाधान के निर्देश दिए गए। कुछ समय पहले प्रधानमंत्री ने प्रयागराज में एक लाख साठ हजार महिला स्वयं सहायता समूहों के बैंक खाते में एक हजार करोड़ रुपये की धनराशि का अन्तरण किया था। उन्होंने मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना की एक लाख से अधिक नवीन लाभार्थियों के खाते में बीस करोड़ रुपये की धनराशि का अन्तरण भी किया था। बैंकिंग काॅरेस्पाॅण्डेंट सखी बैंक को गांव तक ले आयी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इन पर पचहत्तर हजार करोड़ रुपये के लेन देन की जिम्मेदारी सौंपी है। बेटियां गांव में पचहत्तर हजार करोड़ रुपये का कारोबार कर रही हैं। पहले जिन बहन बेटियों के अपने बैंक खाते भी नहीं थे। आज उनके पास डिजिटल बैंकिंग की ताकत है।

आयुष्मान भारत योजना से सर्वाधिक लाभ महिलाओं को हुआ है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत आवास प्राथमिकता पर महिलाओं के नाम पर बनाये गये हैं। उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाखों की संख्या में आवास बनाये गये हैं। इनमें से अधिकतर आवास महिलाओं के नाम पर हैं। केन्द्र सरकार की स्वामित्व योजना के अन्तर्गत देश भर में घरों के मालिकों को उसके कागजात घरौनी दी जा रही है। मुद्रा योजना के अन्तर्गत गांव में गरीब परिवारों की नयी महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस योजना के अन्तर्गत दिये गये ऋण में से सत्तर प्रतिशत महिलाओं को प्रदान किये गये हैं।

दीनदयाल अन्त्योदय योजना के जरिये भी बहनों को स्वयं सहायता समूहों से जोड़ा जा रहा है। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत वर्तमान केंद्र सरकार के पहले पांच वर्षों में जितनी सहायता दी गयी, उससे तेरह गुना बढ़ोत्तरी विगत सात वर्षों में हुई है। पहले स्वयं सहायता समूहों को दस लाख रुपये का ऋण बिना गारण्टी के उपलब्ध कराया जाता था। अब इसका दोगुना बीस लाख रुपये दिया जा रहा है। मुस्लिम बहनों को उत्पीड़न और शोषण से बचाने के लिए तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाया गया।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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