भोपाल। चित्रकूट के सबसे नजदीकी स्टेशन मझगवां को आखिर धर्मनगरी का प्रवेश द्वार बनाने की मांग सतना जिला कांग्रेस ने की हैं। सतना जिला कांग्रेस के सचिव नवनीत गुप्ता ने कहा कि कई धर्मस्थलों व पर्यटन स्थलों से घिरे मझगवां पर यदि सरकार ध्यान दे तो इसे एक ऐसे स्थल के तौर पर विकसित किया जा सकता है जहां लोग धर्मस्थली चित्रकूट जाने के लिए उतरें और यहां आसपास बिखरे प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लें। हालांकि चित्रकूट विधायक नीलांशु चतुर्वेदी ने अपनी सरकार में मझगवां को चित्रकूट का प्रवेश द्वार बनाने का प्रस्ताव रखा था लेकिन सरकार गिर जाने के बाद अब उनके प्रस्ताव पर मौजूदा सरकार कितना अमल करती है, यह देखना दिलचस्प होगा।
नवनीत गुप्ता ने बताया कि रेलमार्ग से चित्रकूट जाने वाले श्रद्धालुओं को मझगवां स्टेशन के सुविधाहीन होने के कारण तकरीबन 50 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर काटकर कर्बी स्टेशन में उतरना पड़ता है। सर्व सुविधायुक्त कर्बी स्टेशन में उतरकर श्रद्धालुओं को तकरीबन 12 किमी की यात्रा आटो से तय कर चित्रकूट पहुंचना पड़ता है। इससे समय तो जाया होता ही है, किराए के तौर पर अतिरिक्त चपत भी सहन करनी पड़ती है। यदि मझगवां स्टेशन की बात करें तो यह अपनी दुर्दशा को आंसू बहा रहा है। यहां आम यात्री सुविधाएं तो छोडि़ए पीने का पानी तक मयस्सर नहीं होता है। इक्का-दुक्का ट्रेनों के स्टापेज वाले मझगवां स्टेशन में यात्री सुविधाओं का आलम यह है कि यहां पर यात्री शेड तक नहीं है नतीजतन गर्मी हो या बरसात मुसाफिरों को ट्रेनों का इंतजार खुले आसामान तले ही करना पड़ता है। कहा जाता है कि किसी कस्बे या शहर को विकसित तभी किया जा सकता है जब वहां आवागमन का साधन व आगंतुकों के लिए बुनियादी सुविधाओं का ढांचा मौजूद हो। दुर्भाग्य से मझगवां में दोनों ही नहीं है। न तो यहां ज्यादा ट्रेनों का स्टापेज दिया गया और न ही स्टेशन में ऐसी सुविधाएं कि मुसाफिर यहां से रेलयात्रा करने के लिए आकर्षित हो सकें। स्टेशन में पेयजल व्यवस्था लडख़ड़ाई हुई है। गुप्ता ने बताया कभी दस्यु प्रभावित स्टेशनों में शुमार रहे मझगवां स्टेशन में सुरक्षा व्यवस्था के भी माकूल इंतजाम नहीं हैं। यहां आरपीएफ पोस्ट है जिसमें महज 6 जवान तैनात हैं। इनके जिम्में मझगवां स्टेशन के अलावा बांसापहाड़ से जैतवारा के बीच का रेल सेक्शन है। यहां टिकट खिड़की भी ऐसी जगह पर है जहां पहुंचने के लिए यात्री को बेटिकट ही प्लेटफार्म में प्रवेश करना पड़ता है। लंबे अरसे से मांग की जा रही है कि टिकट खिड़की को प्लेटफार्म क्र.1 से शिफ्ट कर बाजार की उस दिशा की ओर शिफ्ट किया जाय जहां से लोगों का प्रवेश होता है लेकिन लोगों की यह मांग अभी भी मांग ही बनी हुई है। ट्रेनों की आड़ में अपनी नेतागिरी चमकाने वाले माननीयों ने भी कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया कि यदि यहां स्टेशन में यात्री सुविधाओं व ट्रेनों के स्टापेज को बढ़ा दिया जाय तो भोपाल, जबलपुर, कटनी, शहडोल, छत्तीसगढ़, महाराष्ट:, उड़ीसा आदि जगहों से आकर चित्रकूट जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह प्रमुख स्टेशन बन सकता है।
बाहर भी बने शेड, प्रदर्शित हों आसपास के स्थल
यहां स्टेशन के बाहर भी एक शेड बनाए जाने की जरूरत है ताकि मेला अवधि में रात में उतरने वाले श्रद्धालु शेड के नीचे रूक सकें। इसके अलावा मझगवां के आसपास के शबरी आश्रम, सरभंगा आश्रम, सुतीक्षण आश्रम जैसे धर्मस्थलों की दूरी व दिशा बताने वाले बोर्ड लगाएजायं ताकि लोग यह समझ सकें कि मझगवां स्टेशन में उतरने के क्या फायदे हैं और यहां उतरकर इन धर्मस्थलों तक भी आसानी से पहुंचाजा सकता है। इसमें कुडी प्रपात जैसे पर्यटक स्थलों को भी शामिल किया जा सकता है।
बस स्टैंड को भी विकास की दरकार
मझगवां बस स्टैंड को भी सुविधायुक्त बनाने की दरकार है। फिलहाल चौराहे को ही बस स्टैंड मान लिया गया है जहां सड़क पर बस खड़ी हो जाती हैं और वहीं से सवारियां भरकर गंतव्य के लिए रवाना हो जाती हैं। यदि मझगवां को चित्रकूट का प्रवेश द्वार बनाना है तो बस स्टैंड को भी विकसित करना होगा जहां शौचालय व पेयजल की व्यवस्था करनी होगी। फिलहाल तो बस स्टैंड में बस में चढऩे-उतरने के अलावा कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है।
इनका कहना है
हमने चित्रकूट को प्रवेश द्वार बनाने का पूरा प्रस्ताव व खाका अपनी सरकार में दिया था जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सहर्ष मान भी लिया था। अब भाजपा की सरकार है, बावजूद इसके मझगवां को चित्रकूट का प्रवेश द्वार बनाने का हमारा संघर्ष जारी रहेगा। निश्चित ही मझगवां का न केवल इससे विकास होगा बल्कि श्रद्धालुओं को भी राहत मिलेगी और अतिरिक्त यात्रा से होने वाला व्यय और समय दोनो बचेगा।
नीलांशु चतुर्वेदी, विधायक चित्रकूट
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved