लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो व प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने पराली जलाने के नाम पर किसानों पर ज्यादती करने का आरोप लगाया है। उन्होंने इसकी निन्दा करते हुए सरकार से किसानों को जागरूक करने के प्रयासों पर जोर देने की मांग की है। मायावती ने शनिवार को ट्वीट किया कि उत्तर प्रदेश में फैले प्रदूषण को लेकर खासकर यहां पराली जलाने की आड़ में किसानों के साथ हो रही जुल्म-ज्यादती अति निन्दनीय। जबकि इस मामले में सरकार को कोई भी कार्यवाही करने से पहले, उन्हें जागरूक व जरूरी सहायता देने की भी जरूरत। बसपा की यह मांग है।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी सरकार को घेरते हुए कहा है कि पर्यावरण प्रदूषण के बहाने किसानों को पराली जलाने के अभियोग में जेल का भय सता रहा है। भाजपा किसानों का लगातार उत्पीड़न किसी न किसी बहाने करती रहती हैं। पराली प्रबंधन की जो बातें है भी वे हवा में की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि पराली जलाने के आरोप में लगभग हजारों किसानों के खिलाफ मुकदमों की नोटिसें जारी हुई हैं। किसान की पराली के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था भाजपा सरकार ने नहीं की।
हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले ही इस बात के निर्देश दे चुके हैं कि पराली जलाने से प्रदूषण पर होने वाले दुष्प्रभाव के सम्बन्ध में किसानों को निरन्तर जागरूक किया जाए। उन्होंने कृषि विभाग को निर्देशित किया कि इस सम्बन्ध में किसानों के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करे। पराली जलाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान के बारे में किसानों को बताया जाए। उन्होंने कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जाए कि पराली जलाने की कार्रवाई पर किसानों के साथ कोई दुर्व्यवहार अथवा उत्पीड़न न हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पराली के उपयोग के लिए नवीन प्रयोगों को बढ़ावा दिया जाए। पराली से बायोफ्यूल, बिजली तैयार किए जाने के सम्बन्ध में पूर्व स्वीकृत प्रोजेक्ट की समीक्षा कर पराली का उत्पादक उपयोग बढ़ाया जाए। इससे किसानों को पराली से धनराशि मिलेगी। पराली का बेहतर उपयोग जहां एक ओर किसानों की आय को दोगुना करने में मददगार सिद्ध होगा, वहीं दूसरी ओर इससे प्रदूषण को नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी। (हि.स.)