लखनऊ: राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के भाग लेने पर लगा प्रतिबंध केंद्र सरकार ने हटा दिया है. इस फैसले पर बीएसपी सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने नाराजगी जाहिर कर इसका विरोध किया है. उन्होंने इस फैसले को देशहित से परे और राजनीति से प्रेरित बताया. उन्होंने कहा कि सरकार का यह फैसला संघ के लोगों का तुष्टिकरण करने वाला है जिसका मकसद बीजेपी सरकार और संघ के बीच लोकसभा चुनाव के बाद बनी दूरी को कम करना है.
बीएसपी चीफ ने सरकार से फौरन इस फैसले को वापस लेने की मांग की. अपने सोशल मीडिया पर उन्होंने खए पोस्ट शेयर किया है. जिसमें उन्होंने लिखा है कि सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस की शाखाओं में जाने पर 58 साल से जारी प्रतिबंध को हटाने का केन्द्र का निर्णय देशहित से परे, राजनीति से प्रेरित संघ तुष्टीकरण का निर्णय, ताकि सरकारी नीतियों और इनके अहंकारी रवैयों आदि को लेकर लोकसभा चुनाव के बाद दोनों के बीच तीव्र हुई तल्खी दूर हो.
इसके आगे उन्होंने लिखा कि सरकारी कर्मचारियों को संविधान और कानून के दायरे में रहकर निष्पक्षता के साथ जनहित और जनकल्याण में कार्य करना जरूरी होता है जबकि कई बार प्रतिबंधित रहे आरएसएस की गतिविधियां काफी राजनीतिक ही नहीं बल्कि पार्टी विशेष के लिए चुनावी भी रही हैं. ऐसे में यह निर्णय अनुचित, तुरन्त वापस हो.
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