भोपाल। इस साल गर्मी में लोगों को भारी बिजली कटौती का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि, देश के कुछ हिस्सों में तापमान फरवरी महीने में ही 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। हाई टेम्प्रेचर के कारण हाल के हफ्तों में बिजली की मांग लगभग रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची है। गर्मी के दबाव ने देश में बिजली आपूर्ति को लेकर चिंता अभी से बढ़ा दी है। पावर स्टेशनों को पहले ही गर्मी के मौसम में ब्लैकआउट से बचने और घरेलू कोयले की आपूर्ति पर दबाव घटाने के लिए इम्पोर्टेड कोयले का उपयोग करके अगले तीन महीनों तक पूरी क्षमता से बिजली उत्पादन करने का आदेश दिया गया है। जनवरी में बिजली की पीक डिमांड बढ़ गई थी, जो पिछली गर्मियों में ऑल टाइम हाई के करीब थी। बीते साल कोरोना महामारी के प्रतिबंधों को हटाने के बाद हेवी इंडस्ट्री फिर से शुरू हुई थी और देश की जनता ने भीषण परिस्थितियों का सामना किया था। तब गर्मी ने 122 साल पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया था।
किसानों को फसलों की जांच करने की सलाह दी
पिछले सप्ताह कुछ क्षेत्रों में टेम्परेचर नॉर्मल से 11 डिग्री ऊपर रहा है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने किसानों को गर्मी के चलते गेहूं और अन्य फसलों की जांच करने की सलाह दी है। गर्म मौसम की असामान्य शुरुआत से पूर्वानुमान है कि सिंचाई पंप और एयर कंडीशनर की जोरदार बिक्री के कारण बिजली की खपत बढ़ेगी। ये इस चिंता को बढ़ावा दे रहा है कि लगातार दो वर्षों के व्यवधान के बाद देश का ऊर्जा नेटवर्क नए दबाव में आ जाएगा।
कोयले का भंडार टारगेट से काफी नीचे
भारत में 70 प्रतिशत से अधिक बिजली कोयले से बनती है। बिजली स्टेशनों पर कोयले का भंडार वर्तमान में 45 मिलियन टन के टारगेट से काफी नीचे है, जिसे सरकार ने मार्च के अंत तक पूरा करने को कहा था। ओडिशा के ऊर्जा मंत्री प्रताप केशरी देब ने कहा कि गर्मियों में भारत की बिजली की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता भी काफी हद तक पर्याप्त कोयले का खनन और परिवहन सुनिश्चित करने के प्रयासों से तय होगी।
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