इंदौर (Indore)। स्वास्थ्य विभाग के दस्तक अभियान और महिला एवं बाल विकास विभाग के बाल आरोग्य कार्यक्रम के बावजूद भी कुपोषण थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब तक सांवेर में सबसे ज्यादा 464 बच्चे कुपोषित निकले हैं, वहीं देपालपुर में 325 और महू ग्रामीण क्षेत्र में 373 बच्चे गंभीर अवस्था में पाए गए हैं। आंकड़ों के अनुसार पांच से अधिक परियोजनाओं में कुपोषण 300 पार निकला है।
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा कुपोषण से लडऩे के लिए पोषण किट बांटने और बच्चों को सही समय पर उपचार उपलब्ध कराने के बावजूद भी कुपोषत बच्चों की समस्या कम नहीं हो रही है। योजना प्रारंभ होने से लेकर आज तक 4093 बच्चे गंभीर कुपोषण के शिकार पाए गए हैं। हालांकि अब यह आंकड़ा 2000 पर सिमट गया है, लेकिन उसके बावजूद भी गंभीर कुपोषण का प्रतिशत 8.11 दर्ज किया गया है। सांवेर विधानसभा में 464, महू ग्रामीण 2 में 373, देपालपुर में 325, इंदौर ग्रामीण 1 में 300 सहित महू छावनी क्षेत्र में भी 278 बच्चे कुपोषण के शिकार पाए गए हैं। वर्तमान आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो पंजीकृत किए जाने के बाद इन बच्चों को प्रशासन ने पोषण किट वितरित कर कुपोषण मुक्त करने की पहल की है, जिसके बाद आंकड़ों में कमी हुई।
2000 किट बांटेंगे
महिला एवं बाल विकास अधिकारी रामनिवास बुधोलिया के अनुसार विभाग की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा जुटाए गए आकड़े के बाद प्रशासन ने पोषण किट बांटने की तैयारी कर ली है। पिछले माहों में भी पोषण किट वितरण किया गया था। उसके बाद अब फिर दो हजार पोषण पैकेट तैयार किए गये हैं, जिनका वितरण किया जाएगा। ज्ञात हो कि गंभीर पोषण स्तर के बच्चों की संख्या में इंदौर शहरी चार में 255 बच्चे व इंदौर शहरी 2 में 346 बच्चे भी कुपोषित पाए गए थे। इस आधार पर शहर में भी गांव की तुलना में कुपोषण है।
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