10 दिनों से बिजली खपत में 1500 मेगावाट की गिरावट
इंदौर। अक्टूबर से जनवरी (October to January) तक रबी सीजन किसानों के लिए सिंचाई का पिक टाइम रहता है, लेकिन इस बार दो से तीन बार मावठे की बारिश ने किसानों को सिंचाई की झंझट से थोड़ी राहत जरूर दी है। मोटर पंप बंद रहने से बिजली की खपत भी कम हुई है। पिछले 10 दिनों में रोजाना 1500 मेगावाट बिजली का उपयोग कम हो रहा है। इसके पीछे सिंचाई कम या सीमित होने को लेकर देखा जा रहा है।
इंदौर-उज्जैन संभाग में इंदौर बिजली कंपनी विद्युत व्यवस्था वितरण का जिम्मा रखती है। कार्यपालक निदेशक गजरा मेहता एवं इंजीनियर रोहित उज्जैनकर ने बताया कि इस बार सीजन में सबसे ज्यादा बिजली की खपत 15 दिन पहले 22 से 26 दिसंबर 2023 के बीच रही थी। इस दौरान 7242 मेगावाट तक बिजली की खपत पहुंची थी। इसके बाद मौसम ने करवट ली और बादल तथा रुक-रुककर हलकी बारिश का दौर चला। 4 जनवरी को फिर से मावठे की तेज बारिश हुई। पिछले 10 दिनों से बिजली खपत 5500 मेगावाट के करीब आ गई है, यानी तकरीबन 1500 से 1700 मेगावाट बिजली खपत में गिरावट दर्ज हुई है। बारिश के पानी से खेतों में नमी लंबे समय तक रहती है, जिसके कारण आगे भी सिंचाई करने की कम ही आवश्यकता लगेगी। अगर मौसम इसी प्रकार रहता है और बारिश नहीं होती है तो अगले 10 दिनों के बाद बिजली खपत में एक बार फिर उछाल आ सकता है। फिलहाल मावठे की बारिश ने बिजली कंपनी को काफी हद तक राहत पहुंचाई है। वहीं किसानों को भी खेतों में पलेवा करने से राहत मिली है। किसानों के लिए मावठे से लाभ यह रहा कि ट्यूबवेल में पानी खत्म हो रहा था, लेकिन आसमान से हुई बारिश ने फसलों को लाभ पहुंचाया है।
कोहरे से फसलों को नुकसान
तकरीबन 1 सप्ताह से कोहरे का माहौल बना हुआ है। इस समय गेहूं, चना, आलू, लहसुन की फसल फूल व दाना बनने की स्थिति में है। लगातार कोहरे के कारण फसलों को नुकसान हो रहा है। इसका असर उत्पादन पर पड़ेगा। किसान परेशान हैं, वहीं कृषि विभाग ने सलाह दी है कि ज्यादा कोहरा होने पर लोग खेतों की मेड़ पर धुआं कर सकते हैं, जिससे काफी हद तक राहत मिलेगी।
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