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    11 फरवरी 2021 को मनाई जाएगी मौनी अमावस्‍या, जानें व्रत के नियम व महत्‍व

  • February 04, 2021

    हमारें हिंदू धर्म में हर एक धार्मिक त्‍यौहारों को श्रद्वा व भक्तिपूर्ण रूप से मनाया जाता है और मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है। ये माघ महीने में अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन देवतागण पवित्र संगम में निवास करते हैं, इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व माना जाता है। मुनि शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है। इसलिए इस दिन मौन रहने वाले व्यक्ति को मुनि पद की प्राप्ति होती है। इस साल मौनी अमावस्या 11 फरवरी 2021 मनाई जाएगी।

    पौराणिक कथाओं के मुताबिक इस दिन मौन रखने से भगवान की कृपा होती है। देवी-देवता बेहद खुश होते हैं। लेकिन अगर आप मौन रहने में संभव नहीं होते हैं तो आप इस दिन लड़ाई-झगड़े करने से बचे। इसी के साथ किसी को भी कटु वचन ना बोले।

    इसके अलावा इस दिन चंद्र देव के दर्शन नहीं होते हैं। चंद्रमा को भी मन का कारक कहा गया है। इससे मन की स्थिति कमजोर रहती है। इसलिए अमावस्या के दिन मौन व्रत रखकर मन को संयम में रखने का विधान बताया गया है। इस दिन भगवान शिव और विष्णु जी की पूजा की जाती है।

    मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya)को गंगा स्नान का महत्व
    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति को तीन प्रकार के लाभ होते हैं। तन और मन निर्मल होता है, पाप​ मिटते हैं और ग्रह दोष भी शांत होते हैं।ऐसा माना जाता है कि प्रयागराज में मौनी अमावस्या के दिन गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम पर देवी-देवता वास करते हैं। संगम में स्नान से वे व्यक्तियों को कष्टों तथा पापों से मुक्ति देते हैं। संगम स्नान के बाद दान करने से धन वृद्धि का आशीष मिलता है। इसके अतिरिक्त यह भी मान्यता है कि मौनी अमावस्या को संगम पर पितर भी पवित्र स्नान का लाभ लेने के लिए आते हैं। इस दिन जो लोग पितरों के लिए पिंडदान, तर्पण या श्राद्ध कर्म करते हैं, उनके पितर तृप्त होकर उन्हें सुखी जीवन और वंश वृद्धि का अशीष देते हैं।


    व्रत नियम-
    इस दिन सुबह सुबह नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। इसी के साथ संभव हो तो इस मौन रहना चाहिए। इसके अलावा गरीब और भूखे लोगों को इस दिन खाना जरूर खिलाएं।

    इसी के साथ अमावस्या के दिन गौ दान, स्वर्ण दान या भूमि दान भी कर सकते हैं। हर अमावस्या की भांति माघ अमावस्या पर भी पितरों को याद करना चाहिए। इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

    नोट– उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सूचना सामान्‍य उद्देश्‍य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्‍यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्‍न माध्‍यमों जैसे ज्‍योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्‍वयं की जिम्‍मेंदारी होगी ।

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