11 फरवरी यानि कल है मौनी अमवस्या (Mauni Amavasya) इस दिन पवित्र नदियों में स्नान व दान आदि का पर्व, किया जाता है । कहा जाता है कि अमावस्या के दिन शनिदेव का जन्म हुआ था। जिनकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती, ढैया, पितृदोष, कालसर्प दोष है, वह भी इस दिन इनकी पूजा करके सुख प्राप्त कर सकते हैं। धर्मशास्त्रों में मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) का खास स्थान है। इसे माघ अमावस्या (Magha Amavasya) भी कहते हैं। बार मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) 11 फरवरी को मनाई जाएगी। मान्यता है कि देवतागण इस पवित्र दिन संगम में निवास करते हैं, इसलिए मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) को गंगा आदि पवित्र नदियों में स्नान का खास महत्व है ।
जिस वर्ष गुरु कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं, उसके दो-तीन माह पूर्व से कुंभ मेला का महापर्व हरिद्वार में प्रारंभ हो जाता है। इस बार सूर्य भी माघ माह में मकर राशि गत हैं, अत: इस बार की मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) खास होगी। मान्यता है की मौनी अमवास्या के दिन मौन रहने वाले व्यक्ति को मुनि पद की प्राप्ति होती है। इस दिन गंगा स्नान के बाद मौन व्रत का संकल्प लें और उसके बाद भगवान विष्णु का पीले फूल, केसर चंदन, घी का दीपक और प्रसाद के साथ पूजन करें।
मौनी अमावस्या व्रत का महत्वः
मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के दिन मौन धारण करने का भी महत्व है। मौन धारण करने के बाद व्रत समापन करने से मुनि पद की प्राप्ति होती है। इस दिन मौन व्रत रखने का मतलब मन को संयमित रखने से है। इससे आपका आत्मबल, ज्ञान, ध्यान बढ़ता है, पवित्र विचार आते हैं, पुण्य का अर्जन होता है।
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