नई दिल्ली (New Dehli)। माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya)कहा जाता है. मौनी अमावस्या पर मौन रहकर स्नान और दान करने का महत्व (Importance)है. इस दिन अगर सम्पूर्ण रूप से मौन रहा जाए तो अद्भुत स्वास्थ्य(amazing health) और ज्ञान की प्राप्ति होती है. जिन लोगों को भी मानसिक समस्या (mental problem)है या भय और वहम की समस्या है, उनके लिए मौनी अमावस्या का स्नान महत्वपूर्ण माना गया है. इस दिन की प्रक्रिया के पालन से ग्रहों की शांति और दोषों का निवारण दोनों हो सकता है।
मौनी अमावस्या पर कैसे करें पूजा और स्नान?
मौनी अमावस्या पर प्रात:काल या संध्याकाल स्नान के पूर्व संकल्प लें. पहले जल को सर पर लगाकर प्रणाम करें. फिर स्नान करना आरम्भ करें. स्नान करने के बाद सूर्य को काले तिल मिलाकर अर्घ्य दें. साफ वस्त्र धारण करें. फिर मंत्र जाप करें. मंत्र जाप के पश्चात वस्तुओं का दान करें. चाहें तो इस दिन जल और फल ग्रहण करके उपवास रख सकते हैं।
मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त
स्नान-दान का मुहूर्त- 9 फरवरी को सुबह 08.02 बजे से सुबह 11.15 बजे तक
श्राद्ध कर्म का समय- 9 फरवरी को सुबह 11.00 बजे दोपहर 03.21 बजे तक
राहु-केतु की शांति के लिए उपाय
मौनी अमावस्या के दिन शिवजी के मंदिर जाएं. शिव जी को एक रुद्राक्ष की माला अर्पित करें. धूप जलाकर शिवजी के मंत्र का उसी माला से 108 बार जाप करें. मंत्र होगा- “रूपं देहि, यशो देहि , भोगं देहि च शंकर। भुक्ति मुक्ति फलं देहि, गृहीत्वार्घ्यम नमोस्तुते।।”. इसके बाद इस माला को या तो अपने पास रखें या गले में धारण कर लें।
अलग अलग उद्देश्यों के लिए क्या दान करें?
गौ दान- मुक्ति मोक्ष के लिए
भूमि दान- आर्थिक समृद्धि के लिए
काले तिलों का दान- ग्रह नक्षत्र बाधा से मुक्ति के लिए
स्वर्ण दान- रोग और कर्ज मुक्ति के लिए
पात्र सहित घी का दान- पारिवारिक जीवन की खुशहाली के लिए
नमक का दान- किसी भी प्रकार की बाधा से मुक्ति के लिए
चांदी का दान- वंश वृद्धि और संतान की उन्नति के लिए
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