नलखेड़ा। निश्चित रूप से स्थानीय निकायों में चुनी हुई परिषद आम नागरिकों के प्रति प्रतिबद्ध रहती है। तुलनात्मक रूप से प्रशासन काल के। नगर में परिषद के अंतिम कार्यकाल में ट्रेचिंग ग्राउंड पर लाखों रुपये की लागत से निर्मित किये गए मटेरियल रिकवरी केंद्र व कम्पोस्टिंग बेड प्लांट का प्रशासक कार्यकाल में उपयोग नही करना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। प्राप्त जानकारी के अनुसार कचरे के निपटान हेतु स्थानीय नगर परिषद द्वारा चुनी हुई नगर परिषद के कार्यकाल के अंतिम समय के दौरान ट्रेचिंग ग्राउंड पर मटेरियल रिकवरी केंद्र व कम्पोस्टिंग बेड प्लांट का निर्माण 16.44 लाख रुपये में करवाया गया था। इनमें से मटेरियल रिकवरी केंद्र में कचरे में से लोहा, प्लास्टिक, पुष्ठे व अन्य कचरा कचरा अलग अलग किया जाना था। दूसरे कम्पोस्टिंग बेड प्लांट में घर घर से निकलने वाले कचरे से खाद बनाना था। दोनों प्लांटों के सुचारू रूप चलाने पर नगर परिषद को प्रति वर्ष एक बड़ी धनराशि की आय भी हो सकती थी।
मटेरियल पृथकीकरण कर हर चीज विक्रय की जा सकती थी साथ ही कम्पोस्टिंग बेड प्लांट में खाद बनाकर उसे विकय किया जाना था, जिससे नप को बड़ी धनराशि की आय होने के साथ ही कचरे का निपटान भी हो सकता था। लेकिन विगत 2 वर्षों में केवल कागज की खानापूर्ति करने के लिए नगर परिषद द्वारा लगभग एक सप्ताह ही उक्त कार्य करवाया गया। अब उनके द्वारा कागजो में कितने दिनों तक उक्त कार्य होना बताया है यह जिम्मेदार ही बता सकते हैं। वर्तमान में ट्रेचिंग ग्राउंड पर निर्मित उक्त दोनों केंद्रों तक पहुंचने का रास्ता ही कचरे के बड़े बड़े ढेर लगाकर बंद कर दिया गया है। ऐसे में वहाँ पहुंचना ही मुश्किल भरा कार्य हो गया है तो केंद्र पर कचरे का निपटान कैसे संभव हो सकता है। मामले में नगर परिषद सीएमओ रामचंद्र शिंदल ने बताया कि ट्रेचिंग ग्राउंड की व्यवस्था में सुधार किया जा रहा है। केंद्रों पर पहुंचने के रास्ते भी साफ किये जा रहे है। रिकवरी केंद्र पर कचरा प्रथककरण के लिए अलग से मजदूर लगाने के निर्देश दरोगा को दिए जा चुके है। एक सप्ताह में दोनों केंद्रों को प्रारम्भ कर दिया जाएगा।
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