भोपाल: कैप्टन अंशुमान सिंह के शहीद होने के बाद NOK (Next TO Kin) को लेकर एक विवाद खड़ा हो गया है. NOK के तहत जवान के शहीद हो जाने पर अगर उनकी शादी नहीं हुई है तो सरकार की तरफ से दी गई राशि पर माता-पिता का हक होता है, लेकिन जब जवान की शादी हो जाती है तो यह सारी राशि उन की पत्नी को दी जाती है.
जिसके बाद अब शहीद अंशुमान के माता-पिता NOK में बदलाव की मांग कर रहे हैं, उन का कहना है कि कैप्टन अंशुमान को जो कीर्ति चक्र मिला था वो भी उन की पत्नी स्मृति सिंह अपने साथ लेकर चली गई है और राशि भी उन्हीं को दी जाएगी तो फिर माता-पिता के पास शहीद बेटे की क्या निशानी बची. जिसके बाद मध्यप्रदेश के सीएम ने NOK पर बड़ी बात कह दी है.
मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने राज्य की पुलिस के एक कार्यक्रम में शहीदों के परिवार को मिलने वाली राशि के बंटवारे पर चल रहे विवाद के बीच बड़ी घोषणा की, उन्होंने कहा, प्रदेश के किसी भी जवान के शहीद होने पर दिए जाने वाले एक करोड़ रुपये की राशि में से 50 प्रतिशत पत्नी को और 50 प्रतिशत माता-पिता को दी जाएगी.
NOK को कानूनी उत्तराधिकारी भी कह सकते हैं. इसका मतलब होता है कि जो भी जवान सेना में शामिल होता है अगर उस को कुछ हो जाता है तो राशि उसके NOK को ही दी जाएगी. सेना में जब जवान भर्ती होने वाला होता है तो यह NOK में उस के माता-पिता का नाम दर्ज किया जाता है लेकिन शादी के बाद उन की पत्नी या पति का नाम दर्ज कर लिया जाता है और अनुग्रह राशि उन को दी जाती है.
सियाचिन में तैनात कैप्टन अंशुमान सिंह 19 जुलाई 2023 को शहीद हो गए थे. बंकर में आग लग गई थी, जिस बंकर से कैप्टन अंशुमान दूर थे, लेकिन उन के तीन साथी बंकर में फंस गए थे और अपने साथियों को बचाने के लिए अंशुमान आग में कूद गए और बुरी तरह झुलस गए. जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन उन्होंने दम तोड़ दिया.
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