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    Married daughter मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति पाने की हकदार नहीं : इलाहाबाद हाईकोर्ट

  • October 03, 2021

    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि विवाहिता पुत्री (Married daughter) मृतक आश्रित कोटे (deceased dependent quota) में नियुक्ति पाने की हकदार नहीं हैं. कोर्ट ने इसकी तीन वजह भी बताई है. कोर्ट ने कहा है‌ कि प्रथम शिक्षण संस्थाओं के लिए बने रेग्यूलेशन 1995 के तहत विवाहिता पुत्री (Married daughter) परिवार में शामिल नहीं है. द्वितीय आश्रित कोटे में नियुक्ति की मांग अधिकार के रूप में नहीं की जा सकती।

    याची ने छिपाया कि उसकी मां को पारिवारिक पेंशन मिल रही है, वह याची पर आश्रित नहीं है और तीसरे कानून एवं परंपरा दोनों के अनुसार विवाहिता पुत्री अपने पति की आश्रित होती है, पिता की नहीं. कोर्ट ने राज्य सरकार की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए एकलपीठ के विवाहिता पुत्री को आश्रित कोटे में नियुक्ति देने के आदेश 9 अगस्त 2021 को रद्द कर दिया।


    यह फैसला एक्टिंग चीफ जस्टिस एमएन भंडारी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने दिया. माधवी मिश्रा ने विवाहिता पुत्री के तौर पर विमला श्रीवास्तव केस के आधार पर मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति की मांग की थी. याची के पिता इंटर कॉलेज में तदर्थ प्रधानाचार्य पद पर कार्यरत थे. सेवाकाल में उनकी मृत्यु हो गई. राज्य सरकार की अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता सुभाष राठी का कहना था कि मृतक आश्रित विनियमावली 1995, साधारण खंड अधिनियम1904, इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम व 30 जुलाई 1992के शासनादेश के तहत विधवा, विधुर, पुत्र, अविवाहित या विधवा पुत्री को आश्रित कोटे में नियुक्ति पाने का हकदार माना गया है।

    याची के वकील की थी ये दलील
    राठी ने कहा कि 1974 की मृतक आश्रित सेवा नियमावली कॉलेज की नियुक्ति पर लागू नहीं होती. एकलपीठ ने गलत ढंग से इसके आधार पर नियुक्ति का आदेश दिया है. वैसे भी सामान्य श्रेणी का पद खाली नहीं है. मृतक की मां विधवा पेंशन पा रही है. जिला विद्यालय निरीक्षक शाहजहांपुर ने नियुक्ति से इनकार कर गलती नहीं की है।

    याची अधिवक्ता सीमांत सिंह का कहना था कि सरकार ने कल्याणकारी नीति अपनाई है। विमला श्रीवास्तव केस में कोर्ट ने पुत्र-पुत्री में विवाहित होने के आधार पर भेद करने को असंवैधानिक करार दिया है और नियमावली के अविवाहित शब्द को रद्द कर दिया है।

    कोर्ट ने कहा कि आश्रित की नियुक्ति का नियम जीविकोपार्जन करने वाले की अचानक मौत से उत्पन्न आर्थिक संकट में मदद के लिए की जाती है. मान्यता प्राप्त एडेड कालेजों के आश्रित कोटे में नियुक्ति की अलग नियमावली है तो सरकारी सेवकों की 1994 की नियमावली इसमें लागू नहीं होगी।

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