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शादी, बेवफाई, कत्ल और 21 सालों का इंतजार… 85 साल की मां ने बेटे को दिलाया न्याय, पढ़े क्या थी कहानी

August 06, 2024

कानपुर: कहते हैं ना कि खुदा के घर में देर है लेकिन अंधेर नहीं. देर लग सकती है लेकिन इंसाफ मिल के ही रहता है. यूपी के कानपुर देहात से भी एक ऐसा ही मामला सामने आया. जालौन में सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा कर सीमा यादव ने मनोज संग शादी रचाई थी. लेकिन, कुछ ही दिनों बाद जब फौजी ढाबे के मालिक सुरेश यादव से सीमा की नजदीकियां बढ़ने लगीं तो दोनों ने मिलकर मनोज को रास्ते से हटाने की साजिश रचना शुरू कर दिया. 80 साल की बुजुर्ग और मृतक की मां सूरज देई काफी वक्त से इंसाफ का इंतजार कर रहीं थीं, अब आखिरकार उनकी ये कामना पूरी हो गई.

पीड़ित मां के मुताबिक बेटे मनोज का अपरहण कर सुरेश और सीमा ने उसकी हत्या कर दी और शव को ढाबे के पास ही सिंगूर नदी में बहा दिया. इसके बाद से लगातार बुजुर्ग पीड़िता थाने के चक्कर लगाती रहीं और इंसाफ की मांग करती रहीं, लेकिन उस समय सुरेश यादव समाजवादी पार्टी में लोहिया वाहिनी का जिलाध्यक्ष था. सुरेश का काफी दबदबा था. लोग सुरेश यादव के नाम से डर जाते थे जिसके चलते पुलिस भी मामला दर्ज करने से बचती रही.


धीरे-धीरे वक्त बीता और उत्तर प्रदेश में सरकार बदली. घटना के 15 साल बाद पीड़िता ने एक बार फिर से अपनी पैरवी तेज की जिसके बाद सुरेश यादव और सीमा यादव के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज हुआ. पुलिस ने जानकारी जुटाई और चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की. 6 साल तक मामले में कानूनी दांव पेंच चलते रहे. जिरह-बहस और गवाही के बाद मामला आखिरकार फैसले तक पहुंचा जिसके बाद कानपुर देहात जिला न्यायालय ने आरोपी सुरेश और सीमा को दोषी करार दिया और दोनों को 10-10 साल के कारावास के साथ 50-50 हजार का जुर्माना भी लगाया और जुर्माने की 80 फीसदी रकम पीड़िता सुरज देई को दिए जाने का फैसला सुनाया. सूरज देई ने भी न्यायालय के फैसले का सम्मान कर न्ययालय और सरकार का धन्यवाद किया.

वहीं शासकीय अधिवक्ता प्रदीप पांडेय ने जानकारी देते हुए बताया की 18 सालों के आपराधिक इतिहास में आज पहली बार सुरेश यादव को सजा हुई है. सबसे पहली बार साल 2006 में सुरेश यादव के खिलाफ हत्या सहित अन्य गम्भीर धाराओं में मामला दर्ज हुआ था और अब तक 19 मुकदमें सुरेश यादव के खिलाफ दर्ज हो चुके हैं. गैंगेस्टर-गुंडा एक्ट सहित जिले बदर की कार्यवाही भी सुरेश यादव के खिलाफ की जा चुकी है. वहीं प्रदीप पांडेय ने बताया कि ये मामला बेहद पेचिदा था क्योंकि घटना के 15 साल बीत जाने के बाद आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था. लेकिन पुलिस अधिकारियों के सहयोग और पीड़िता सहित गवाहों की गवाही के बाद ये जीत हासिल हुई है.

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