इंदौर। पिछले दिनों पूरे देश के लिए एक अध्यादेश जारी कर कृषि उपज मंडियों और उनके घोषित स्थानों को छोडक़र बाकी पूरे देश में किसानों को उपज बेचने के लिए स्वतंत्र कर दिया गया। इस नए आदेश द फामर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स के कायकर्ता व्यापारियों को लाइसेंस, मंडी शुल्क, खेत से मुक्त किया गया है। 5 जून से प्रभावशील इस आदेश के चलते इंदौर सहित प्रदेश की 272 मंडियों के समाप्त होने का खतरा मंडरा रहा है।
इस अध्यादेश के खिलाफ और अपनी मांगों के संबंध में इंदौर सहित प्रदेशभर के मंडी व्यापारी 3 सितम्बर से 5 सितम्बर तक अपना कारोबार बंद रखेंगे। मध्यप्रदेश सकल अनाज, दलहन, तिलहन व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल, महामंत्री प्रकाश कल्लैरा, राधेश्याम माहेश्वरी ने एक जानकारी में बताया कि प्रदेश सरकार केन्द्र के आदेश के बाद भी प्राइवेट मंडियों को खोलने के लिए प्रयासरत है, जबकि प्रदेश की 272 मंडियां इस नए अध्यादेश से समाप्ति की कगार पर है। उसका मूल कारण मंडी के बाहर कोई बंधन व मंडी शुल्क नहीं है और मंडियों में अनावश्यक कागजी कार्रवाई व मंडी शुल्क व निराश्रित शुल्क मिलाकर 1 रुपए 70 पैसे ही है। मंडी शुल्क 50 पैसे कर दिया जाए और लाइसेंस आजीवन करते हुए मंडी बोर्ड से मुक्त की जाए और लीज की व्यवस्था उद्योगों को दी जाने वाली सुविधा के मुताबिक रहे।
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