इंदौर। मध्यप्रदेश में राजा-महाराजाओं के जमाने में बने नक्शे का नई तकनीकी से नवीनीकरण किया जाएगा। पहले जरीब से जमीनों की नपती के आधार पर नक्शे बनाए जाते थे, जिसमें कई खामियां रहती थीं, लेकिन नए नक्शे में खामियों की गुंजाइश ही नहीं रहेगी।
डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड माइनाजेशन प्रोग्राम (Digital India Land Record ) के अंतर्गत नक्शे बनाने के लिए कृषि भूमि के सर्वे (Survey) का कार्य शीघ्र ही प्रारंभ किया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार मप्र के राजस्व विभाग (Revenue Department) के पास वर्तमान में जो उपलब्ध नक्शे हैं वह बहुत पुराने हो गए हैं तथा समय के साथ भौगोलिक स्थिति में परिवर्तन, भूमि की बिक्री, बंदोबस्त के समय तकनीकी त्रुटि एवं मैनुअल के अनुसार होने वाली मानवीय त्रुटियों के कारण नक्शे का मिलान वास्तविक स्थिति से नहीं हो पा रहा है। फलस्वरूप सीमांकन, नामांतरण, बंटवारा और बंटाकन आदि की प्रक्रिया बाधित हो रही है।
सैटेलाइट डिजिटल(Satellite Digital) के माध्यम से जो नक्शे बनाए जाएंगे, उनमें भू-राजस्व अभिलेख तो शुद्ध होंगे ही, वहीं नामांतरण और सीमांकन सहित जमीन संबंधी अन्य समस्याओं का निराकरण एवं भूमि के क्रय-विक्रय में सुगमता होगी। इस सर्वेक्षण की कार्रवाई मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 के अंतर्गत धारा 65, 67, 107 और 108 एवं भू-सर्वेक्षण तथा भू-अभिलेख नियम 2020 के तहत की जाएगी। नक्शे में आबादी की भूमि को छोड़कर सभी का सर्वे किया जाएगा।
भू-अभिलेख आयुक्त ज्ञानेश्वर पाटिल ने बताया कि भू-अभिलेखों को आधुनिक करने का कार्य सबसे महत्वपूर्ण है, जिसे गंभीरता से लेते हुए नए नक्शे बनाए जाएंगे। वर्तमान में नक्शे और मौके पर भिन्नता होने से ग्रामीणों में आपसी विवाद की स्थिति बनती है, जो बाद में अपराधियों को भी जन्म देती है।
यहां तक कि कई सालों तक तहसील न्यायालय से लेकर हाईकोर्ट (High Court) और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक जमीन संबंधी मामले चलते रहते हैं, लेकिन नए नक्शे में भूमि विवाद के सुगमतापूर्वक सुलझाने से अपराधों में भी कमी आएगी।
इस संबंध में इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, धार, खंडवा, खरगोन, देवास, उज्जैन और बड़वानी, आलीराजपुर सहित प्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टरों को पत्र लिखा जा चुका है।
इंदौर में 1909 में बना था होलकरकालीन नक्शा : इंदौर में सन् 1909 में नक्शा बनाया गया था।
जरीब के माध्यम से बने नक्शे में पहाड़, नदी आदि की नपती नहीं की गई थी। बरसों पहले बनाए गए नक्शे और वर्तमान की स्थिति में कई परिवर्तन हुए हैं। इसी प्रकार ग्वालियर स्टेट, धार स्टेट एवं बुंदेलखंड स्टेट सहित राघौगढ़, रीवा, नरसिंहगढ़, खिलचीपुर, चुरहट, देवास, दतिया, छतरपुर एवं पन्ना के राजघरानों और विभिन्न रियासतों के जमाने में बने नक्शे का नवीनीकरण किया जाएगा।
जिलावार होगी समिति गठित : जिले में ग्रामों के नक्शा निर्माण एवं अभिलेख निर्माण के कार्य के सफल क्रियान्वयन एवं निगरानी के लिए समिति गठित की जाएगी, जिसमें कलेक्टर अध्यक्ष होंगे।
इसी प्रकार अपर कलेक्टर, एसडीएम, प्रभारी अधिकारी भू-अभिलेख, जिला पंजीयक, जिला ई-गवर्नेंस प्रबंधक, अधीक्षक भू-अभिलेख तथा तहसीलदार सदस्य होंगे।
जिलास्तरीय समिति द्वारा महीने में कम से कम एक बार योजना के क्रियान्वयन की प्रगति की समीक्षा की जाएगी। साथ ही ग्रामीणों को जागरूक भी किया जाएगा। समिति में ग्राम सरपंच, सचिव, पटवारी एवं कोटवार भी शामिल होंगे।
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