नई दिल्ली: मुंबई में 2008 में हुए आतंकी हमले की साजिश के आरोपी पाकिस्तानी मूल के कनाडाई बिजनेसमैन तहव्वुर राणा के खिलाफ पुलिस ने एक नई सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की है. पीटीआई के मुताबिक, इस चार्जशीट में पुलिस ने कहा है कि तहव्वुर राणा मुंबई आतंकी हमलों से पहले 21 नवंबर 2008 को पवई के एक होटल में दो दिनों तक रुका था.
मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सोमवार (25 सितंबर) को 400 पन्नों से ज्यादा की इस चार्जशीट को यूएपीए मामलों की सुनवाई करने वाली स्पेशल कोर्ट में पेश किया. ये इस मामले में चौथी चार्जशीट है. तहव्वुर राणा फिलहाल अमेरिका की हिरासत में है और मुंबई आतंकी हमलों की साजिश से जुड़े कई आरोपों को झेल रहा है. राणा के पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकी डेविड कोलमैन हेडली के साथ भी संबंध रहे हैं. गौरतलब है कि मुंबई आतंकी हमलों के पीछे डेविड हेडली मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है.
मुंबई के होटल में दो दिन रुका था तहव्वुर
मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच के अधिकारी ने मंगलवार (26 सितंबर) को बताया कि चार्जशीट में कहा गया है कि तहव्वुर हुसैन राणा 11 नवंबर 2008 को भारत आया और 21 नवंबर तक देश में रहा. इस दौरान उसने दो दिन पवई के एक होटल में दो दिन गुजारे. उन्होंने कहा कि हमारे पास राणा के खिलाफ दस्तावेजी सबूत के साथ कुछ लोगों के बयान भी हैं, जो आतंकी हमले में उसकी भूमिका दर्शाते हैं.
हेडली को दिलाया था टूरिस्ट वीजा
अधिकारी के मुताबिक, इन सबूतों से साफ होता है कि तहव्वुर राणा पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकी डेविड कोलमैन हेडली के साथ मुंबई आतंकी हमलों की साजिश में शामिल था. राणा ने ही नकली कागजातों के जरिए हेडली को भारतीय टूरिस्ट वीजा दिलाने में मदद की थी. उन्होंने बताया कि राणा ने कथित तौर पर आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए लश्कर-ए-तैयबा के लोगों को मदद की थी.
आतंकी हमलों में था ISI का हाथ
क्राइम ब्रांच को हेडली और राणा के बीच ईमेल के जरिए हुई बातचीत भी मिली है. इसमें से एक मेल मुंबई आतंकी हमलों से जुड़ी हुई है, जिसमें हेडली मेजर इकबाल की ईमेल आईडी मांगता है. बता दें कि मेजर इकबाल पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़ा है, जिसे 26/11 आतंकी हमलों की साजिश में आरोपी बनाया गया है.
26 नवंबर 2008 को हुए मुंबई आतंकी हमलों में 166 लोगों की मौत हुई थी. इन हमलों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान से 10 आतंकी समुद्र के रास्ते भारत आए थे. 26/11 आतंकी हमलों के दौरान देश की आर्थिक राजधानी 60 से ज्यादा घंटों तक आतंकियों के कब्जे में थी. इन 10 आतंकियों में से एक अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया था. कसाब को बाद में फांसी की सजा दी गई थी.
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