नई दिल्ली । कांग्रेस (Congress) ने आखिरकार पंजाब (Punjab) में घमासान के बीच अपना फैसला सुना दिया है। पार्टी के नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को प्रदेश अध्यक्ष (State President) बनाने से कलह खत्म होगी या बढ़ेगी, यह वक्त तय करेगा। पर, इसके बाद दूसरे प्रदेशों में भी अंदरुनी कलह जोर पकड़ सकती है। पंजाब के साथ राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार, पश्चिम बंगाल और केरल सहित कई प्रदेशों में कांग्रेस अंदरुनी झगड़ों से जूझ रही है। पंजाब में पार्टी नेतृत्व ने विरोध के बीच सिद्धू को जिम्मेदारी देने से कई सवाल उठे हैं। कई नेता इस पार्टी का एकतरफा फैसला मान रहे हैं।
पार्टी के अंदर यह बात जोर पकड़ रही है कि कांग्रेस सही ढंग से पंजाब विवाद को हल करने में विफल रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता हरिकेश बहादुर कहते हैं कि पार्टी का रुख बहुत गैर जिम्मेदाराना रहा है। इसका असर दूसरे प्रदेशों में भी होगा और कलह बढ़ सकती है। सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलेपिंग सोसाइटीज के निदेशक डॉ. संजय कुमार कहते हैं कि इससे दूसरे प्रदेशों में कांग्रेस नेताओं के बीच अंतरकलह की संभावना बढ़ती है। खासकर राजस्थान में जहां वरिष्ठ नेता सचिन पायलट लगातार अपनी नाराजगी जता रहे हैं।
पार्टी नेता मानते हैं कि कांग्रेस नेतृत्व को फैसले को ज्यादा टालना नहीं चाहिए। पंजाब में सिद्धू को जिम्मेदारी देनी थी, तो इसका ऐलान पहले ही कर दिया जाना चाहिए था। सिद्धू दो साल से यह मांग कर रहे हैं। इससे यह संकेत गया है कि नेतृत्व दबाव में आ गया है।
पंजाब में छह माह में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में नए प्रदेश अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्षों को संगठन पर पकड़ बनाने में मुश्किल होगा। इसके अलावा कैप्टन के साथ भी उनके रिश्ते फिल्हाल ठीक नहीं है। ऐसे में पार्टी को चुनाव में नुकसान हो सकता है।
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