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    भाजपा की विजयी टीम में ऊर्जावान कप्तान सहित कई नए चेहरों को मिलेगा मौका, मगर हरल्ली कांग्रेस के पास वही नाथ और दिग्गी की जोड़ी

  • December 09, 2023

    • ये फर्क है देश के दो बड़े राजनीतिक दलों की चुनावी रणनीति में, एक दल के दिल्ली में बैठे दो प्रमुख चयनकर्ता लेते हैं चौंकाने वाले फैसले, तो दूसरे दल का परिवार सब कुछ गंवाकर भी समझने को तैयार नहीं

    इंदौर, राजेश ज्वेल। तमाम चुनावों से लेकर हर मोर्चे पर बुरी तरह मात खाती कांग्रेस सब कुछ गंवाने के बाद भी होश में आने या मैदानी स्थिति समझने को तैयार नहीं है, तो दूसरी तरफ भाजपा की दिल्ली में बैठी मोदी-शाह की जोड़ी ना सिर्फ साहसिक, बल्कि चौंकाने वाले फैसले लेती है और चुनावों में एकतरफा फतह हासिल करती है। मध्यप्रदेश में ही भाजपा की विजयी टीम की कमान अब ऊर्जावान कप्तान सहित कई नए चेहरों को सौंपी जाएगी, तो दूसरी तरफ हरल्ली कांग्रेस के पास वहीे घीसे-पीटे चेहरे हैं। दिल्ली दरबार ने कमलनाथ को हटाने की बजाय लोकसभा चुनाव की जिम्मेदारी भी दे डाली। यानी नाथ और दिग्गी की थकेली जोड़ी ही लोकसभा चुनाव लड़वाएगी।

    बीते 10 सालों से कांग्रेस देशव्यापी मूर्खताएं करती रही है और यहां तक कि अपनी अच्छी बनी-बनाई सरकारों को भी उसने खो दिया। दूसरी तरफ भाजपा का अश्वमेघ यज्ञ अनवरत जारी है और केन्द्र के साथ-साथ राज्यों और यहां तक कि नगरीय निकायों-पंचायतों में भी वह लगातार सफलता हासिल करती रही है। अभी 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को बुरी तरह हार का मुंह देखना पड़ा। एंटी इनकमबेंसी के मुगालते में मध्यप्रदेश में कांग्रेस बुरी तरह पराजित हुई और भाजपा ने उसका सूपड़ा साफ करते हुए 163 सीटों पर प्रचंड जीत हासिल की। बावजूद इसके। भाजपा के दिल्ली में बैठे मुख्य चयनकर्ता यानी मोदी-शाह की जोड़ी मध्यप्रदेश की पूरी विजयी टीम को बदलने जा रही है। यहां तक कि पूरा चुनाव भी बिना कप्तान यानी मुख्यमंत्री घोषित किए लड़ा और अब कौन बनेगा मुख्यमंत्री इसकी चर्चा ही परिणाम के बाद से लगातार चल रही है।


    कुछ चेहरों की चर्चा सोशल और अन्य मीडिया में जोर-शोर से हो रही है। वहीं यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि जिस तरह कई राज्यों से लेकर महत्वपूर्ण पदों पर भाजपा नेतृत्व ने चौंकाने वाले नाम दिए, लिहाजा संभव है प्रदेश की कमान यानी नया कप्तान भी ऐसा ही दे दे। हालांकि अगले 48 घंटे में यह धुंध भी छंट जाएगी और कप्तान की घोषणा के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष, विधानसभा अध्यक्ष से लेकर उप मुख्यमंत्री व अन्य कई महत्वपूर्ण पदों पर ऐसे ही नए चेहरे नजर आएंगे। तो दूसरी तरफ हरल्ली कांग्रेस के पास प्रदेश में फिर वही थकेले चेहरे हैं और नाथ-दिग्गी की जोड़ी ही लोकसभा चुनाव-2024 करवाएगी। कल दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खडग़े और राहुलगांधी ने मध्यप्रदेश के नेताओं के साथ चर्चा की, जिसमें कमलनाथ भी मौजूद रहे और चर्चा यह भी थी कि कमलनाथ से प्रदेश अध्यक्ष का पद ले लिया जाएगा। मगर हुआ उसके उलटा और नाथ के नेतृत्व में ही चुनाव लडऩे का फैसला हो गया। देश के दो बड़े प्रमुख राजनीतिक दलों की चुनावी और अन्य रणनीति में यही बड़ा फर्क है। एक दल यानी भाजपा हर हाल में सिर्फ जीतना और सत्ता हासिल करना चाहता है, तो दूसरा दल सब कुछ गंवाकर भी सीखने-समझने को तैयार नहीं है।

    ईवीएम पर ठीकरा फोड़ कमलनाथ की कुर्सी रही सलामत
    कमलनाथ सहित पूरी कांग्रेस ने अपनी हार का ठीकरा ईवीएम यानी मशीनों पर फोड़ दिया और सोशल मीडिया पर ट्वीट करने से लेकर इससे संबंधित बयान भी जारी कर दिए, लेकिन पूरा चुनाव कांग्रेस ने जिस तरह मुगालते में लड़ा और चुनाव के ठीक पहले जिस तरह मैदान छोड़ दिया और भाजपा ने कब्जा कर लिया। बावजूद इसके कमलनाथ की कुर्सी सलामत रही, क्योंकि केन्द्रीय नेतृत्व ही असक्षम है।

    दिग्गज चेहरों के बीच इस बार मंत्रिमंडल का गठन भी आसान नहीं
    अभी तो मुख्यमंत्री का फैसलाहोना है और उसके साथ मंत्रिमंडल का गठन भी आसान नहीं होगा, क्योंकि भाजपा के पास दिग्गजों-वरिष्ठों की फौज इक_ी हो गई है। तीन केन्द्रीय मंत्रियों और सात सांसदों को इस बार भाजपा ने विधानसभा चुनाव लड़वाया और जो जीते उनसे इस्तीफे भी दिलवा दिए। यानी उन्हें मध्यप्रदेश की राजनीति करना है। अब देखना यह है कि मंत्रिमंडल में किसको मौका मिलता है।

    शिवराज का जवाब नहीं… मिशन-29 पर निकल पड़े
    मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान अपने भविष्य की चिंता किए बिना मिशन-29 पर निकल पड़े। वे लाडली बहनाओं से मिल रहे हैं, तो लोकसभा चुनाव में कमल के 29 फूलों की माला बनाकर मोदी जी को पहनाने का नारा लगा रहे हैं। दिल्ली दरबार जाने की बजाय चुनाव परिणाम आते ही शिवराज छिंदवाड़ा से लेकर अन्य जिलों के दौरों पर निकल गए। वे कल राघौगढ़ पहुंचे, तो आज हरदा जा रहे हैं। जो सीटें कांग्रेस ने जीती वहां पर शिवराज दौरे कर रहे यह भी जता रहे हैं कि वे लोकसभा के प्रति अभी से गंभीर हो गए।

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