उज्जैन। शहरवासियों के साथ-साथ सप्त सागरों को भी नगर निगम में नई नगर सरकार बनने का इंतजार है। पिछले भाजपा बोर्ड में इंदिरानगर स्थित सोलह सागर को करीब दो करोड़ की लागत से नया स्वरूप देने का प्रस्ताव पास हुआ था लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ पाया। यहाँ सिंहस्थ में हुए लाखों के निर्माण कार्य जर्जर होने लगे हैं और सागर में गंदगी भी फैल रही है। उल्लेखनीय है कि कोरोना काल शुरु होने के पहले नगर निगम में काबिज भाजपा बोर्ड ने सोलह सागर को पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए प्रस्ताव बनाया था। पिछले बोर्ड का कार्यकाल सितम्बर 2020 में पूरा हुआ था लेकिन इसके पहले वार्ड क्रमांक 5 के अंतर्गत इंदिरानगर स्थित दो सागरों को संवारने के लिए 4 करोड़ से ज्यादा राशि का प्रस्ताव पास किया गया था। सदन में इसे पिछले बोर्ड ने मंजूरी भी दी थी लेकिन कोरोना के कारण यह प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाया था।
जब लॉकडाउन हटा तो दो साल में नगर निगम की माली हालत भी खस्ता हो गई थी और उक्त दो सागरों को संवारने का प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया था। सिंहस्थ 2016 के दौरान सोलह सागर का लाखों रुपए खर्च कर जीर्णोद्धार किया गया था। सागर के चारों ओर पक्का परिक्रमा पथ बनाया गया था। विसर्जन के लिए निर्धारित घाट भी यहाँ पक्के बनाए गए थे और इसके चारों ओर सुरक्षा की दृष्टि से रैलिंग एवं जालियाँ लगाई गई थी। पाथवे को चारों ओर से सुंदर लाल पत्थरों और ब्लॉक से सजाया गया था लेकिन इसके बाद से नगर निगम ने इसके रख रखाव पर ध्यान नहीं दिया और सिंहस्थ में बना यह रमणीक स्थल अब धीरे-धीरे जर्जर होता जा रहा है। चारों ओर लगे लाल पत्थर और फर्शियाँ टूटकर बिखर रहे हैं। परिक्रमा पर लगाए गए ब्लॉक भी गायब हो गए हैं। इतना ही नहीं ध्यान नहीं देने के कारण यहाँ सोलह सागर के घाट पर निर्माल्य और फूल आदि सामग्री के ढेर लग गए हैं। कुल मिलाकर अब जब तक नगर निगम में नई सरकार नहीं बनती तब तक इस सागर का कायाकल्प फिर से होना संभव नजर नहीं आ रहा।
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