इंदौर। हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई द्वारा प्रदेश के फर्जी नर्सिंग कॉलेजों की जांच की जा रही है। हालांकि उसमें भी घोटाला हो गया और जिन सीबीआई अफसरों को जांच का जिम्मा सौंपा उन्होंने खुद करोड़ों रुपए की रिश्वत खा ली। अभी चिकित्सा शिक्षा आयुक्त तरुण कुमार पिथोड़े ने इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह को पांच कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए, जिस पर कल प्रशासन की टीम ने पांच इंदौरी नर्सिंग कॉलेजों को सील कर दिया। प्रथम दृष्ट्या ही छात्रों को बोगस ट्रेनिंग देने से लेकर कई फर्जीवाड़े सामने आए हैं। कॉलेज बिल्डिंग सहित जो मापदण्ड तय किए गए हैं उसकी कितनी अव्हेलना हुई यह भी प्रशासन पता करेगा।
अभी पिछले दिनों ही सीबीआई की विजिलेंस टीम ने अपने ही इंस्पेक्टर राहुल राज को 7 लाख रुपए की रिश्वत और सोने के दो बिस्किट के साथ गिरफ्तार किया था। अब पता चला कि राहुल राज ने इंदौर से ही करोड़ों रुपए की अवैध वसूली नर्सिंग कॉलेज संचालकों से कर डाली। इंदौर के साथ उज्जैन क्षेत्र के कॉलेजों की जांच का हिम्मा भी उसी के पास था। इसमें मध्यस्थ के अलावा इंदौर के ही दो कॉलेज संचालकों की मिलीभगत भी सामने आई है। वहीं कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर कल एसडीएम ओमनारायण बडक़ुल व उनके साथ गई टीम ने इन पांच कॉलेजों को सील किया, जिसमें देवी अहिल्या नर्सिंग कॉलेज एंड हॉस्पिटल एसोसिएट, ऋतुंजया स्कूल ऑफ नर्सिंग, वर्मा यूनियन नर्सिंग कॉलेज, जगतगुरु दत्तात्रेय कॉलेज ऑफ नर्सिंग के साथ रॉय एकेडमीनर्सिंग कॉलेज शामिल रहे।
एसडीएम बडक़ुल ने इन कॉलेजों के कुछ रिकॉर्ड भी चैक किए तो उनमें भी बड़ी गड़बड़ी सामने आई। दरअसल, नर्सिंग कॉलेज में पढऩे वाले छात्र-छात्राओं को सरकारी अस्पतालों से अनिवार्य 15 दिन या एक महीने की ट्रेनिंग लेना पड़ती है। जैसे इंदौर के एमवाय अस्पताल में ट्रेनिंग के बाद उसका सर्टिफिकेट भी दिया जाता है। मगर इन कॉलेजों के अधिकांश छात्रों के पास ऐसा कोई सर्टिफिकेट भी नहीं मिला। उसके अलावा कॉलेज बिल्डिंग, लैब, लाइब्रेरी से लेकर जो तमाम मापदण्ड तय किए गए हैं उनकी भी पूर्ति नहीं मिली और सीबीआई के रिश्वतखोर अफसरों ने अनुपयुक्त यानी अनस्युटेबल 66 कॉलेजोंमें से अधिकांश को स्युटेबल यानी उपयुक्त बता दिया था। अब हाईकोर्ट कॉलेज के पास इन 66 कॉलेजों को सील करने की कार्रवाई की जा रही है।
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