चंडीगढ़ । किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी सहित कई किसानों (Many Farmers including Farmer leader Gurnam Singh Chaduni) ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात की (Met Haryana Chief Minister Naib Singh Saini) । किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी सहित कई किसान सोमवार को चंडीगढ़ में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के संत कबीर कुटीर आवास पर पहुंचे। इस दौरान चढूनी ने स्पष्ट किया कि वह राज्य के किसानों के हितों से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर मुख्यमंत्री से बातचीत करेंगे ।
गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि हरियाणा सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि निजी कंपनियों को मंडियां बनाने की अनुमति न दी जाए। उनका मानना है कि इससे परंपरागत मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी, जिससे किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य मिलना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने कहा, “सरकार को मंडियों को मजबूत बनाना चाहिए, न कि निजी कंपनियों को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे किसान अपनी मेहनत की कमाई से वंचित रह सकते हैं।”
चढूनी ने राज्य सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून पारित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि एमएसपी कानून से किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिलने की गारंटी मिलेगी और किसान आर्थिक रूप से सुरक्षित महसूस करेंगे। उन्होंने हरियाणा विधानसभा में इस कानून को जल्द से जल्द पारित करने की अपील की।
किसान नेता ने इस साल गन्ने की कीमतों में बढ़ोतरी की मांग को भी दोहराया। उन्होंने कहा कि बढ़ती लागत और महंगाई को देखते हुए गन्ने की कीमतों को बढ़ाना आवश्यक है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर सरकार किसानों की इस मांग को मान लेती है, तो इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
चढूनी ने कहा कि सरकार को किसानों की सभी मांगों को मानकर मौजूदा आंदोलनों को समाप्त करना चाहिए। उन्होंने कहा, “हम सरकार के साथ संवाद के लिए तैयार हैं, लेकिन सरकार को भी यह समझना होगा कि किसानों के मुद्दे गंभीर हैं और इन्हें प्राथमिकता के आधार पर हल करना चाहिए।”
मुख्यमंत्री और किसानों के बीच होने वाली इस बैठक पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार किसानों की इन प्रमुख मांगों को लेकर क्या कदम उठाती है। इस मुलाकात को लेकर किसान समुदाय में उम्मीद की लहर है। किसान चाहते हैं कि सरकार उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुने और उनके समाधान के लिए ठोस कदम उठाए। वहीं, सरकार का रुख भी इस मुद्दे पर अहम होगा, जिससे किसानों और सरकार के बीच आपसी सहमति बन सके।
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