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राहुल गांधी की हल्ला बोल रैली से नदारद रहे कई असंतुष्ट नेता

September 05, 2022

नई दिल्ली। महंगाई के खिलाफ (against inflation) हल्ला बोल रैली में रविवार को कांग्रेस (Congress) के कई असंतुष्ट नेता (disgruntled leader) गैरहाजिर रहे। वहीं, गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) के पार्टी छोड़ने का फायदा जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष विकार रसूल (Vikar Rasool) को हुआ। मध्य प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ (Kamal Nath) और हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह (Pratibha Singh) के साथ विकार रसूल को रामलीला मैदान में रैली को संबोधित करने का मौका मिला।

कांग्रेस की रैली में पूर्व केंद्रीय मंत्री और सीडब्ल्यूसी के सदस्य आनंद शर्मा गैर हाजिर रहे। वहीं, असंतुष्ट नेताओं में शामिल मनीष तिवारी भी मौजूद नहीं थे। मनीष के समर्थकों का कहना है कि वह देश से बाहर है, इसलिए उपस्थित नहीं हो पाए। आनंद शर्मा और मनीष तिवारी ने पिछले दिनों अध्यक्ष पद के चुनाव पर सवाल उठाए थे।


रैली में गुलाम नबी आजाद का जिक्र नहीं
इस बीच, रैली में गुलाम नबी आजाद के पार्टी छोड़ने का कोई जिक्र नहीं हुआ। लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इतना जरूर कहा कि कांग्रेस एक दरिया है, इसमें कोई भी आ सकता और जा सकता है। पर आजाद के पार्टी छोड़ने का जम्मू-कश्मीर के नए प्रदेश अध्यक्ष विकार रसूल वाणी को फायदा मिला। उन्होंने सभा को संबोधित किया।

यह कयास लगाए जा रहे थे कि विकार रसूल वाणी अपने भाषण में गुलाम नबी आजाद के पार्टी छोड़ने को लेकर उन पर निशाना साध सकते हैं, पर उन्होंने इसका जिक्र तक नहीं किया। महंगाई के खिलाफ हल्ला बोल रैली में राहुल गांधी की मौजूदगी में सिर्फ तीन प्रदेश अध्यक्षों को बोलने का मौका मिला, इनमें कमलनाथ और प्रतिभा सिंह के साथ विकार रसूल वाणी शामिल हैं।

राज बब्बर ने केंद्र सरकार को सराहा
कांग्रेस में कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। पार्टी जहां महंगाई के खिलाफ केंद्र सरकार को घेरने में जुटी है, वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता राज बब्बर ने सरकार की प्रधानमंत्री जनधन योजना की तारीफ की है। राज बब्बर पार्टी के असंतुष्ट नेताओं में शामिल हैं। राज बब्बर ने ट्वीट कर कहा कि प्रधानमंत्री जनधन योजना को आठ साल पूरे हो गए। लोगों तक पैसा और मदद सीधे बिना किसी दख्ल के पहुंचे। यह एक क्रांति है। इसमें आधी से ज्यादा खाता धारक महिलाएं हैं। ऐसी योजना ‘आपका पैसा आपके हाथ’ के नाम पर मनमोहन सिंह सरकार में भी शुरु हुई थी। मौजूदा सरकार ने इस बेहतर तरीके से लागू किया है।

राज बब्बर फिल्हाल कांग्रेस संगठन में किसी पद पर नहीं हैं। वह लंबे वक्त से पार्टी की बैठकों और कार्यक्रमों से भी दूर हैं। ऐसे में वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस के साथ अपने पचास साल पुराने रिश्ते खत्म करने के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि कुछ और नेता भी पार्टी का साथ छोड़ सकते हैं। हालांकि, राज बब्बर ने अभी इस तरह के कोई संकेत नहीं दिए हैं।

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