नई दिल्ली (New Delhi) । वो साल 1979 ही था जब अतीक अहमद (Atique Ahmed) पर पहला केस दर्ज (case filed) किया गया था. 1979 के पहले केस से अब 2023 में पहली सजा तक के बीच उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में काफी कुछ बदल चुका है. अतीक के गुनाह से सजा के बीच इन 44 सालों के वक्त को कई पहलुओं से समझा जा सकता है. इन 44 वर्षों में प्रदेश ने सामाजिक-आर्थिक और कई राजनीतिक पहलुओं पर बदलाव देखे हैं.
साल 1979 में जब अतीक अहमद पर पहला मुकदम दर्ज हुआ तब यह शहर इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था. लेकिन 44 साल बाद जब अतीक को इसी शहर में सजा हुई तो इस शहर को प्रयागराज के नाम से जाना जाता है. बता दें कि अतीक अहमद पर पहला मुकदमा प्रयागराज के खुल्दाबाद में ही दर्ज हुआ था.
राज्य में अब तक बदले 19 सीएम
राजनीतिक लिहाज से इन 44 वर्षों को देखा जाए तो 1979 में पहले मुकदमे से, 2023 में पहली सजा मिलने तक उत्तर प्रदेश में छह दलों के 19 मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इसके अलावा अगर लीगल पहलुओं पर नजर डाली जाए तो इन 44 साल के लंबे दौर में इलाहाबाद हाई कोर्ट में 27 मुख्य न्यायाधीश बदल चुके हैं.
लोगों की आय में हुआ इजाफा
वहीं अगर उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिहाज से देखा जाए तो 1979 में उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 8400 रुपये थी. लेकिन अब यूपी में प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 98 हजार रुपये हो चुकी है.
कितना बढ़ा अतीक का कद?
वहीं अगर अतीक अहमद के निजी विकास पर फोकस किया जाए तो 1979 में पहला केस के 10 साल बाद उसने पहला चुनाव लड़ा था. इस बीच वो एक मंझा हुआ राजनेता बन गया. वो गुनाह की दुनिया से होते हुए राजनीति में घुसा और अब 44 साल बाद जब उसे पहली सजा हुई है तब तक अतीक अहमद 10 बार चुनाव लड़ चुका था. ये सारे पहलू यह बताने के लिए काफी हैं कि एक व्यक्ति को सजा देने में भारत के न्यायतंत्र कितनी देरी कर दी.
सजा सिर्फ अतीक को नहीं बल्कि उसके रसूक को भी
बता दें कि 44 साल से अपराध के दुनिया में एक्टिव अतीक अहमद को मंगलवार को पहली बार अदालत ने किसी मामले में दोषी करार दिया है. 1979 से हत्या, डकैती, वसूली, अपहरण, जानलेवा हमला, जमीन कब्जे का संगठित गिरोह चलाने वाले अतीक अहमद के खिलाफ पहली बार अदालत ने सजा दी. अतीक को यह सजा अपहरण करके बयान बदलवाने के मामले में हुई है.
इलाहाबाद में बोलती तूती और प्रयागराज में गाली खाता अतीक
उम्रकैद की सजा के ऐलान का असर अतीक अहमद के रसूक पर भी साफ दिखाई दिया. इस ऐलान से प्रयागराज की सड़कों से लेकर अदालत के भीतर तक अतीक की ताकत को भी सजा मिली. सिर्फ अतीक को उम्रकैद नहीं हुई बल्कि उसकी हनक, हेकड़ी, रसूख पर भी कानूनी सजा का असर दिखा है.
एक वक्त था जब इलाहाबाद में अतीक अहमद की तूती बोलती थी. लेकिन आज उसी प्रयागराज की सड़कों पर उसी अतीक अहमद के सामने अदालत के सामने लोग फांसी की मांग करते दिखे. अदालत में ही अतीक के सामने वकील उसे गाली देते दिखे. लोग उसी अतीक के सामने जूतों की माला फहराते दिखे.
साबरमती के लिए रवाना हुआ अतीक अहमद
अतीक अहमद को प्रयागराज की एम-एमएलए कोर्ट से उम्रकैद की सजा का ऐलान होने के बाद उसे वापस गुजरात की साबरमती जेल भेज दिया गया है. प्रयागराज पुलिस पहले चाहती थी कि अतीक अहमद को नैनी जेल में ही रखा जाए. लेकिन अब पुलिस खुद कह रही है कि अगर ऐसा किया गया तो ये सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा. ऐसे में अब अतीक को साबरमती जेल ही ले जाया गया है.
किस मामले में हुई सजा?
आइए अब आपको बता देते हैं कि अतीक अहमद को सजा किस मामले में हुई. दरअसल 17 साल पुराने उमेश पाल अपहरण केस में मंगलवार को प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने बाहुबली अतीक अहमद समेत 3 आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई. कोर्ट ने अपहरण के इस मामले में अतीक के अलावा हनीफ, दिनेश पासी को भी दोषी पाया है. कोर्ट ने तीनों पर 1- 1 लाख का जुर्माना भी लगाया. जबकि अतीक के भाई अशरफ समेत 7 को बरी कर दिया गया. अतीक पर 100 से ज्यादा मामले दर्ज हैं, लेकिन पहली बार उसे किसी केस में सजा सुनाई गई है.
राजू पाल हत्याकांड में गवाह था उमेश
उमेश पाल 2005 में हुए राजूपाल हत्याकांड में मुख्य गवाह था. कोर्ट का यह फैसला इसलिए काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि उमेश की 24 फरवरी 2023 को प्रयागराज में गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस मामले में भी अतीक, उसका भाई अशरफ, बेटा असद समेत 9 लोग आरोपी हैं. इससे पहले सोमवार को अतीक अहमद को गुजरात की साबरमती जेल से प्रयागराज लाया गया. उसके भाई अशरफ को बरेली से प्रयागराज लाया गया. इसके अलावा एक अन्य आरोपी फरहान को भी नैनी जेल लाया गया था.
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