उज्जैन। रूद्रसागर में चल रहे विस्तारीकरण के तहत कई पुराने वृक्षों को काट दिया है। पिछले दो दिनों में 50 साल पुराने वृक्ष काटे गए जो कि विकास के कार्यों में बाधा बन रहे थे। मंदिर समिति का कहना है कि क्षेत्र में नये सिरे से पौधारोपण किया जाएगा लेकिन होना यह था कि विदेशी तकनीक की तरह पुराने वृक्षों को ट्रांसप्लांट किया जाता..! दूसरे विकसित देशों में पुराने वृक्षों को काटा नहीं जाता बल्कि उन्हें मशीनो के माध्यम से जड़ सहित उखाड़कर अन्य जगह लगा दिया जाता है। महाकाल मंदिर के पीछे रूद्रसागर में पिछले 3 दिनों में 50 साल पुराने वृक्षों को काटा गया।
इस पर लोगों का कहना है कि महाकाल वन क्षेत्र में जो प्राचीन वृक्ष लगे हैं, उनका अपना धार्मिक महत्व है। इसलिए उन्हें न काटा जाए। मंदिर समिति का कहना है कि पूरे विकसित क्षेत्र में पर्यावरण ध्यान रखा जा रहा है और पौधारोपण किया जाएगा। दो दिन पहले प्रभारी मंत्री जगदीश देवड़ा ने भी यहाँ पौधारोपण किया था। लोगों का कहना है कि अभी तक जो भी पेड़ काटे गए हैं। उन्हें टुकड़े-टुकड़े कर दिया गया है, जबकि उनकी योजना बनाकर ट्रांसप्लांट किया जाना था। मंदिर समिति का दावा है कि रूदसागर विस्तारीकरण योजना को पर्यावरण के अनुरूप किया जा रहा है। देखना यह है कि समिति के कार्यों में कितनी सच्चाई है..!
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