मनोज जोशी दैनिक भास्कर भोपाल के भोत सीनियर नुमाइंदे हैं। राजधानी के विकास, डेवलोपमेन्ट के लिए जि़म्मेदार एजेंसियों और इनमे पनप रहे घपलों को ये भरपूर उजागर करते हैं। लिखने का उम्दा सलीक़ा है भाई को। मनोज को डिप्लोमा इंजीनयर के तौर पे सरकारी नोकरी के मौके मिले थे…बाकी लिखने पढऩे और माशरे के लिए कुछ कर गुजरने की ख्वाइश इने सहाफत मे खींच लाई। भाई बचपने सेई संघ से मुतास्सिर रहे हैं, लिहाज़ा इनका मानना है के हमारे मुल्क को अखंड होना चाहिए। इनकी नजऱ में आज नावनिर्माण की नहीं, पुनर्निर्माण की ज़रूरत है। गुजिश्ता दिनों मनोज ने महात्मा गांधी पर इतना पढ़ा के एक पूरी रिसर्च ही कर डाली। ज़ाहिर तौर पे इनके दिल मे सवाल उठा के मुल्क में राम राज्य का ख्वाब देखने वाले महात्मा गांधी क्या हिंदुत्व विरोधी थे…? क्या ये मुमकिन है के बीसवीं सदी की इब्तिदा में जिस इंसान ने अंग्रेजों से आज़ादी की लड़ाई की अगुवाई करी वो हिंदुत्व के राष्ट्रीय विचार से मुतास्सिर न हो। इन्हीं कुछ सवालों के चलते मनोज जोशी ने ये किताब लिखी है… जिसका उनवान है ‘हिंदुत्व और गांधीÓ।
अर्चना प्रकाशन ने इस किताब को शाया किया है। किताब की शुरुआत में हिंदुत्व के फ़लसफ़े को कऱीने स समझाया गया है। गौ संरक्षण, भगवद्गीता और गंगाजी के साथ हिन्दू समाज की कुरीतियों, रूढिय़ों और धर्मांतरण जैसे मौज़ू पे महात्मा गांधी के विचार और उनके ज़रिए किये गए कामो की जानकारी इस किताब में मिलती है। इस किताब में संघ के नेताओं और महात्मा गांधी के रिश्तों पे भी ज़रूरी जानकारी दी गई है। ‘हिंदुत्व और गांधीÓ का रस्मे इजरा (लोकार्पण) बतारीख 22 दिसम्बर, बरोज़ बुधवार बमुक़ाम माखनलाल पत्रकारिता यूनिवर्सिटी एमपी नगर में दोपहर 3 बजे मुनअकि़द किया गया है। इस खास मौके की सदारत प्रो. केजी सुरेश करेंगे। पिरोगराम के मेहमाने खुसूसी होंगे पीएससी के साबिक़ चेयरमैन अशोक पांडे साब। रस्मे इजरा में मनोज श्रीवास्तव साब, वेटरन जर्नलिस्ट महेश श्रीवास्तव और हेमंत मुक्तिबोध भी मौजूद रहेंगे। भोत मुबारक हो मनोज भाई।
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