मुंबई: मराठी आरक्षण की मांग (Demand for Maathir reservation) को लेकर आंदोलन कर रहे मराठी नेता मनोज जरांगे (Marathi leader Manoj Jarange) ने बुधवार को नौ दिनों के बाद अनशन वापस ले लिया है. अनशन वापस लेने के बाद उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने का संकेत (hint of contesting assembly elections) दिया है. इस अवसर पर मनोज जरांगे ने कहा कि यदि उन लोगों की आरक्षण की मांग नहीं मानी गईं तो वे लोग सत्ता में बैठकर आरक्षण लेंगे.
उन्होंने कहा कि अगर आरक्षण नहीं दिया तो हम सत्ता में बैठेंगे और आरक्षण लेंगे. सलाइन के साथ उपवास नहीं किया जा सकता. मांगें न मानीं तो मुझे दोष नहीं दें, हम लड़कर अपना अधिकार लेंगे. जरांगे पाटिल ने बुधवार को पानी पीकर अपना अनशन तोड़ा है. उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस को आरक्षण के लिए कुछ और दिन का समय दिया गया है. जब-तक आचार संहिता लागू नहीं होता है, तब-तक राजनीतिक भाषा का प्रयोग नहीं करें. मनोज जरांगे ने यह भी कहा है कि मैं कुछ भी आंच नहीं आने दूंगा. अगर आरक्षण नहीं दोगे तो वे सत्ता में बैठकर आरक्षण ले लेंगे.
उन्होंने कहा कि मराठा किसान धूप में, मिट्टी में काम करता है और अपने बेटे के काम पर आने का इंतजार करता है. जरांगे पाटिल ने कहा है कि हर पार्टी के मराठा इंतजार कर रहे हैं. आचार संहिता लागू रहने तक मांगें पूरी न होने पर निराश न हों. हम लड़कर अपनी मांगों को पूरी करवाएंगे. जरांगे पाटिल ने यह भी कहा है कि मुझसे अस्पताल में मिलने नहीं आएं, मैं बाद में अंतरवली में फिर मिलूंगा. बता दें कि जरांगे ने पहले भी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ने का संकेत दिया था. अब चूंकि चुनाव नजदीक आ रहे हैं. ऐसे में मराठी नेता ने भी चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है.
उन्होंने सवाल पूछा कि अगर मराठा समुदाय आरक्षण की मांग करता है तो आप उन्हें जातिवादी कैसे मानेंगे? उन्हें इस बात का अफसोस था कि उनकी जाति को अच्छी शिक्षा देने वाला कोई नहीं है. मराठों की भी उतनी ही जिम्मेदारी है कि जातिवाद न बढ़े. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर फडणवीस सोचते हैं कि गड्ढे भर दिए जाएंगे, तो गड्ढे नहीं भरेंगे. उन्होंने कहा कि विदर्भ, पश्चिमी महाराष्ट्र और मराठवाड़ा के मराठा एक ही हैं. उन्होंने फडणवीस से मराठों की सभी मांगें मानने की अपील की.
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