नई दिल्ली. ‘मन की बात’ (Mann Ki Baat) के 120वें एपिसोड (120th episode) में प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने खेल (Sports) और खिलाड़ियों (Players) से जुड़ी बातें कीं। इस दौरान उन्होंने एक पैरा एथलीट के पत्र का भी जिक्र किया। इस खिलाड़ी का नाम है जोबी मैथ्यू। पीएम ने कहा, ‘इस बार के खेलो इंडिया पैरा गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले आर्म रेसलर जोबी मैथ्यू ने मुझे चिट्ठी लिखी है।’ पीएम मोदी ने कहा कि वह जोबी के पत्र के कुछ हिस्सों को पढ़कर सुनाना चाहते हैं।
पीएम ने पत्र में जोबी के लिखे शब्दों को पढ़कर सुनाया, ‘पदक जीतना बेहद खास होता है, लेकिन हमारा संघर्ष सिर्फ पोडियम पर खड़े होने तक सीमित नहीं है। हम हर रोज एक लड़ाई लड़ते हैं। जीवन कई तरीकों से हमारी परीक्षा लेता है। बहुत कम लोग हमारे संघर्ष को समझ पाते हैं। इसके बावजूद हम साहस के साथ आगे बढ़ते हैं। हम अपने सपनों को पूरा करने में जुटते हैं। हमें यह विश्वास रहता है कि हम किसी से कम नहीं हैं।’ पीएम मोदी ने जोबी के पत्र की तारीफ करते हुए कहा, ‘वाह जोबी मैथ्यू! आपने कमाल लिखा है। अद्भुत लिखा है। इस पत्र के लिए मैं आपका आभार व्यक्त करता हूं। मैं जोबी मैथ्यू और हमारे सभी दिव्यांग साथियों से कहना चाहता हूं कि आपके प्रयास हमारे लिए बहुत बड़ी प्रेरणा हैं।’
यदि आप शारीरिक और मानसिक रूप से फिट हैं तो खेल में उम्र सिर्फ एक संख्या मानी जाती है। टाइगर वुड्स (49), महेंद्र सिंह धोनी (43) और क्रिस्टियानो रोनाल्डो (40) जैसे दिग्गज खिलाड़ियों ने अपने पेशेवर करियर में अपनी उम्र को किनारे करते हुए कड़ी मेहनत और इच्छाशक्ति की बदौलत सर्वोच्च खेल सम्मान हासिल किया है। ये खिलाड़ी अभी भी खेल रहे हैं। इसी तरह 48 साल के जोबी मैथ्यू ने भी पैरा खेलों में अलग मानक स्थापित किया है। जोबी केरल से ताल्लुक रखते हैं और पैरा पावरलिफ्टर हैं। खेलो इंडिया पैरा गेम्स 2025 में जोबी ने 65 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। यह पहले संस्करण में उनके प्रदर्शन से बेहतर था, जब उन्होंने 59 किग्रा वर्ग में रजत पदक जीता था।
अविकसित पैरों के साथ केरल के कोट्टायम में जन्मे जोबी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए चार स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीत चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी इस पैरा एथलीट ने हालांकि अविकसित पैरों को कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया और पिछले 25 वर्षों से खेलों में सक्रिय बने हुए हैं। उनका सपना लॉस एंजेलिस 2028 पैरालंपिक खेलों में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतना है और इससे उन्हें फर्क नहीं पड़ता कि वह तब तक 51 साल के हो जाएंगे।
जोबी प्रोक्सिमल फेमोरल फोकल डेफिशियेंसी से पीड़ित हैं। यह एक जटिल जन्म दोष जहां फीमर हड्डी का ऊपरी हिस्सा (जांघ में) या तो विकृत या अनुपस्थित होता है। इससे एक पैर दूसरे की तुलना में छोटा होता है। भारत पेट्रोलियम में एक प्रबंधक के रूप में काम करते हुए जोबी ने कभी अपनी कमियों को खेल के सामने नहीं आने दिया। उन्होंने पावरलिफ्टिंग में जाने से पहले शॉट पुट और डिस्कस थ्रो में हिस्सा लेने की भी कोशिश की। वह टेबल टेनिस में राष्ट्रीय स्तर पर पदक भी जीत चुके हैं।
जोबी ने साई मीडिया से कहा, ‘मैं अपनी शारीरिक सीमाओं को नहीं बदल सकता, इसलिए मैंने अपने लक्ष्यों को हासिल करने की कोशिश की। 2010 में पैरा पावरलिफ्टिंग शुरू करने के बाद मैंने उसी वर्ष पंचकूला में आयोजित राष्ट्रीय पैरा खेलों में केरल के लिए अपना पहला स्वर्ण पदक जीता। इसके अलावा मैंने एक ही इवेंट में शॉट पुट और डिस्कस थ्रो दोनों में गोल्ड भी जीता। मैंने तब अपने राज्य के पदक जीतने की शुरुआत की थी, जब केरल में पैरा स्पोर्ट्स को मान्यता नहीं दी जाती थी।’
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