– प्रो. जसीम मोहम्मद
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज दुनिया के सबसे अग्रणी नेताओं में सर्वाधिक लोकप्रिय और प्रतिष्ठित हैं। उन्होंने अपनी कार्यशैली और अनूठी पहल से वैश्विक राजनीतिक मंच पर अलग पहचान स्थापित की है। प्रधानमंत्री ने भारतीय राजनीति में अनेक दूरगामी कठोर निर्णयों के साथ सामाजिक एवं सांस्कृतिक नवाचार के विविध आयोजनों में सदैव लीक से हटकर कुछ न कुछ नया करने का प्रयास किया है। अनेक अवसरों पर अपने निर्णयों से सहयोगियों के साथ अपने प्रतिद्वंद्वियों को न केवल चौंकाया, बल्कि आश्चर्यचकित किया है। प्रधानमंत्री की अग्रगामी सोच और अनूठी पहल का उत्कृष्ट उदाहरण है, उनका मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’। यह उनकी कार्यशैली को लेकर अलग प्रतिमान स्थापित करता है। आज ‘मन की बात’ रेडियो-टेलीविजन के माध्यम से सुना जाने वाला सर्वाधिक लोकप्रिय कार्यक्रम है। इससे नियमित जुड़ने वालों श्रोताओं और दर्शकों की संख्या लगभग 25 करोड़ है।
ताजा सर्वे बताते हैं कि ‘मन की बात’ को आरंभ होने से अब तक एक अरब से अधिक लोग सुन चुके हैं। भारत के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र, जहां टेलीविजन जैसे माध्यम की पहुंच पूरी तरह नहीं है, तक रेडियो के माध्यम से सुना जानेवाला यह कार्यक्रम देश को एक सूत्र में जोड़ने वाला प्रमाणित हुआ है। कोई भी देश तभी तरक्की कर सकता है जब उस देश की जनता अपनी बात को देश के मुखिया तक और देश का मुखिया अपनी बात जनता तक पहुंचा पाये । इससे देश की जनता में अपने मुखिया के लिए विश्वास पनपता है और देश के मुखिया को भी पता चलता है कि आखिर जनता की क्या अपेक्षाएं हैं। फिर पूरे जोश के साथ देश के विकास से जुड़े कार्यों में भागीदारी होती है और देश विकास की राह में अग्रसर होता है। इसी तरह के प्रयास का नाम है- ‘मन की बात’।
कोई आश्चर्य नहीं कि ‘मन की बात’ अब ‘जन की बात’ से भी आगे बढ़कर ‘जन-जन की बात’ बनता जा रहा है। नरेन्द्र मोदी ने मई 2014 में प्रधानमंत्री बनने के कुछ महीनों बाद ही ‘मन की बात’ शृंखला शुरू की थी। 03 अक्तूबर, 2014 को इसके पहले एपिसोड का प्रसारण हुआ। तब से यह निरंतर जारी है। इसमें प्रधानमंत्री ने राजनीतिक कार्यक्षेत्र से अलग हटकर भारतीय समाज के कुछ उल्लेखनीय और महत्वपूर्ण लोगों से संवाद स्थापित किया। हजारों ऐसे लोगों से बात की जो नाम और प्रसिद्धि की चकाचौंध से दूर रहकर चुपचाप कुछ नया और असाधारण कार्य कर रहे हैं। ऐसी अनेक गुमनाम प्रतिभाएं ‘मन की बात’ के माध्यम से प्रकाश में आईं, जिनके संबंध में पहले अधिकतर लोगों को कुछ अधिक नहीं मालूम था। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सुदूर क्षेत्रों तक अपनी बात पहुंचाना और अपनी पहुंच बनाना था । इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए इस कार्यक्रम को प्रसारित करने का माध्यम रेडियो को बनाया गया। भारत में लगभग 90 प्रतिशत जनसंख्या के पास रेडियो उपलब्ध है। इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रधानमंत्री देश की जनता को किसी एक विषय पर जागरूक कर उन्हें वह कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जिससे राष्ट्र सही राह पर चलता हुआ तरक्की कर सके। प्रधानमंत्री मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम का 100वां एपिसोड रविवार को प्रसारित हुआ।
यह कार्यक्रम जब आरंभ हुआ था, तब अनेक लोगों ( विशेषकर प्रधानमंत्री के राजनीतिक विरोधियों) को समझ में नहीं आया था। लोग रेडियो जैसे माध्यम को कमोबेश महत्वहीन मान रहे थे। अधिकांश विरोधियों ने ‘मन की बात’ को प्रसिद्धि का स्वांग कहा। मजाक । उनके अनेक सहयोगियों को भी समझ में नहीं आया कि वो करना क्या चाह रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री ने ठान ली थी। देश की धड़कन माने जाने वाले आकाशवाणी की मंद और धीमी होती हुई आवाज को उन्होंने ऐसी पहचान दी कि आज देश के कोने-कोने में इसे सुना जा रहा है। यह आज जीवंत लोकप्रिय कार्यक्रम बन चुका है। प्रधानमंत्री कहते हैं कि स्वच्छ भारत अभियान हो, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ हो, या हर घर तिरंगा अभियान हो, ‘मन की बात’ ने इन अभियानों को जन आंदोलन बना दिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस कार्यक्रम के जरिये पूर्वोत्तर और अन्य राज्यों की संस्कृति और त्योहारों को लोकप्रिय बनाने और मुख्यधारा में लाने के लिए एक प्रभावी मंच के रूप में सेवा की। उन्होंने कहा भी- ‘मन की बात, वास्तव में, हमारी सभ्यता और लोकाचार की भावना का प्रतिबिंब है।’ ‘मन की बात’ की विषय वस्तु के लिए जनता से आग्रह किया जाता है कि वे विषय भेजें। सलाह दें। इसके लिए एक टोल फ्री नंबर भी है। लोगों के भेजे गए विषयों में से ही प्रधानमंत्री किसी एक का चुनाव करते हैं। फिर उस पर जनता को संबोधित करते हैं। इस संबोधन को जन-जन तक पहुंचाने के लिए आकाशवाणी और दूरदर्शन के चैनलों के साथ गैरसरकारी रेडियो और चैनलों का भी प्रयोग किया जाता है।
प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन इतना सहज होता है कि जनता पर उसका गहरा प्रभाव पड़ता है । इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रधानमंत्री यही आशा करते हैं कि लोग प्रेरणा लेकर अच्छे एवं सही मार्ग पर चलें। अभी तक कई विषयों पर प्रधानमंत्री अपने मन की बात लोगों से साझा कर चुके हैं। वो ‘मन की बात’ में विज्ञान, कौशल विकास, स्वच्छ भारत अभियान, स्वास्थ्य और दिव्यांग बच्चों की छात्रवृत्ति पर चर्चा कर चुके हैं। नौजवानों को नशे से दूर रहने का सलाह दे चुके हैं। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ जनता से संवाद कर चुके हैं। बच्चों को परीक्षा के समय होने वाले तनाव से बचाने के लिए प्रभावशाली पहल कर चुके हैं। किसानों से उनकी समस्या पर रूबरू हो चुके हैं। बोर्ड परीक्षा में सफल बच्चों को बधाई देकर प्रोत्साहित कर चुके हैं। वन रैंक वन पेंशन के मुद्दे पर अपनी बात कह चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर योग के लाभ गिना चुके हैं। सामाजिक बुराई भ्रूण हत्या के दुष्प्रभाव से आगाह कर चुके हैं। लड़कियों के समग्र विकास पर चर्चा कर चुके हैं। उनके संवाद में भारतीय सैनिकों की प्रशंसा, जन धन योजना एवं अन्य कई विकास योजनाओं की सफलता, खिलाड़ियों की प्रशंसा, समय-समय पर होने वाली प्राकृतिक आपदाओं सहित तमाम विषय शामिल हो चुके हैं।
प्रधानमंत्री के देश की जनता से जुड़ने की इस अनूठी पहल की चारों ओर प्रशंसा हो रही है । बावजूद इसके बहुत से लोगों के मन में यह सवाल होगा कि आखिर इस कार्यक्रम की शुरुआत क्यों की गई। दरअसल प्रधानमंत्री चाहते थे कि देश और समाज को समझने के लिए आम नागरिक से नियमित अंतराल पर संवाद किया जाए। लोगों को यह पता चलना चाहिए सरकार उनके लिए क्या कर रही है। राष्ट्र निर्माण और शासन में आम आदमी का समर्थन पाना भी उनका उद्देश्य है। आज ‘मन की बात’ एक ऐसा ऐतिहासिक कार्यक्रम बन गया है, जिसमें प्रधानमंत्री ने स्वस्थ जीवन शैली अपनाने से लेकर स्वास्थ्य संबंधी विषयों की विस्तृत शृंखला को संबोधित किया है। इसमें उन्होंने सफलताओं के पीछे लोगों के योगदान को सराहा है। समग्र कल्याण पर योग जैसे अभ्यास की पैरवी भी की है। 100वीं कड़ी को देश-दुनिया में जो प्यार मिला है, उसने इस कार्यक्रम के महत्व को बढ़ा दिया है।
मेरे (लेखक) मन में प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ को लेकर सदैव उत्साह रहा है। नरेन्द्र मोदी अध्ययन केंद्र की स्थापना के साथ ही मैं प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों को लेकर रोमांचित और उत्साहित रहा हूं। ‘मन की बात’ को लेकर मैं आरंभ से ही आशान्वित रहा हूं कि यह गेम चेंजर आयोजन प्रमाणित होगा। मुझे यह साझा करते हुए गौरव की अनुभूति हो रही है कि ‘मन की बात’ के दो वर्ष पूरे होने पर मैंने नमो केंद्र के सौजन्य से इसी नाम से एक पुस्तिका प्रकाशित की थी। यह इस कार्यक्रम पहला प्रिंटेट प्रारूप था। इसे प्रधानमंत्री को सौंपने का भी मुझे मौका मिला। इसका निशुल्क वितरण किया गया। प्रसन्नता है यह है कि नरेन्द्र मोदी अध्ययन केंद्र ने ‘मन की बात’ की हिंदी और अंग्रेजी में ई-पुस्तक पर काम पूरा कर लिया है। यह केंद्र की वेबसाइट पर निशुल्क उपलब्ध है। मेरा अभिमत है कि व्यक्ति को ‘हमेशा राष्ट्र को पहले रखना चाहिए’। भारत के विकास की कहानी ‘नारी शक्ति’ से भी रेखांकित होती है। इसका बड़ा उदाहरण एक आदिवासी महिला को देश के राष्ट्रपति के रूप में चुना जाना है। यह भी प्रधानमंत्री मोदी के ‘मन की बात’ की चरम उपलब्धि के रूप में रेखांकित की जानी चाहिए।
‘मन की बात’ को लेकर मेरी संकल्पना है कि इसकी 100 कड़ियों को विभिन्न भाषाओं में संकलित कर पुस्तक के रूप में सामने लाया जाए। इसका मकसद है कि यह किताब ऐतिहासिक एवं प्रामाणिक दस्तावेज के रूप में नरेन्द्र मोदी अध्ययन केंद्र की स्थायी धरोहर के रूप में अक्षुण्ण रहे।
(लेखक, नरेन्द्र मोदी अध्ययन केंद्र, नई दिल्ली के सभापति हैं)।
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