नई दिल्ली। केंद्र सरकार (Central government) ने राष्ट्रीय राजधानी में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Former Prime Minister Manmohan Singh) का स्मारक बनाने का फैसला किया है। गृह मंत्रालय की ओर से शुक्रवार रात यह जानकारी दी गई। इसमें कहा गया, ‘केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के परिवार और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) को सूचित किया है कि सरकार स्मारक के लिए जगह आवंटित करेगी। स्मारक के लिए एक ट्रस्ट का गठन और स्थान आवंटित किया जाना है। इस बीच मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार और अन्य औपचारिकताएं पूरी की जा सकती हैं।’ केंद्र सरकार ने कांग्रेस पर इस मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप लगाया है।
सूत्रों ने बताया कि सरकार ने स्मारक पर लिए गए फैसले से कांग्रेस को अवगत करा दिया है। मगर, उन्होंने भी यह कहा कि स्मारक निर्माण के लिए उपयुक्त स्थान ढूंढने में कुछ दिन का समय लगेगा। कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा था कि मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार और स्मारक के लिए स्थान नहीं ढूंढना देश के पहले सिख प्रधानमंत्री का जानबूझकर किया गया अपमान है। कांग्रेस ने यह मुद्दा तब उठाया जब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बयान में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री सिंह का अंतिम संस्कार शनिवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ नई दिल्ली के निगमबोध घाट पर दोपहर 11.45 बजे किया जाएगा।
मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी पत्र लिखकर की मांग
मनमोहन सिंह का गुरुवार को निधन हो गया था। वह 92 साल के थे। वह 2004 से 2014 के बीच 10 वर्षों तक देश के प्रधानमंत्री रहे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया कि पूर्व पीएम का अंतिम संस्कार ऐसे स्थान पर किया जाए, जहां उनका एक स्मारक बन सके। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘आज सुबह कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सुझाव दिया था कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार ऐसे स्थान पर किया जाए, जहां उनकी विरासत का सम्मान करने के लिए एक स्मारक बनाया जा सके।’
‘विशेष जगह आवंटित कर बनाया जाए यादगार स्मारक’
कांग्रेस के सीनियर नेता अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया कि सिंह के अंतिम संस्कार और स्मारक के लिए विशेष जगह आवंटित कर यादगार स्मारक बनाया जाए, जिससे आने वाली युवा पीढ़ी उनके व्यक्तित्व के बारे में जान सके व उनसे प्रेरणा ले सके। पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी से आधुनिक समय के सबसे महान सिखों में से एक डॉ. मनमोहन सिंह को राष्ट्र में उनके महान योगदान के अनुरूप एक स्मारक बनाकर सम्मानित करने का आग्रह करता हूं।’ वहीं, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री की समाधि के संदर्भ में सम्मान की परंपरा का निर्वहन होना चाहिए। इस विषय पर न किसी राजनीति की आवश्यकता है, न होनी चाहिए। डॉ. मनमोहन सिंह जी की समाधि राजघाट पर ही बननी चाहिए।
कांग्रेस पर भड़कीं शर्मिष्ठा
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के लिए अलग से स्मारक बनाने की मांग पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कड़ी आलोचना की है। शर्मिष्ठा ने कहा कि जब उनके पिता (प्रणब मुखर्जी) का 2020 में निधन हुआ था, तब कांग्रेस नेतृत्व ने न तो कोई शोक सभा आयोजित की और न ही कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक बुलाई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस नेतृत्व ने इस मामले में उन्हें गुमराह किया था।
आपको बता दें कि डॉ. मनमोहन सिंह का निधन 92 वर्ष की आयु में 27 दिसंबर को दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में हुआ। खरगे ने प्रधानमंत्री से उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए एक स्मारक बनाने की अपील की थी।
शर्मिष्ठा ने बताया कि एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने उन्हें यह बताया था कि भारत के राष्ट्रपति के लिए शोक सभा का आयोजन नहीं किया जाता है। उन्होंने इसे पूरी तरह बेतुका और निराधार करार दिया और कहा कि वह अपने पिता के डायरी में पढ़ चुकी हैं कि जब पूर्व राष्ट्रपति के.आर. नारायणन का निधन हुआ था, तो कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाई गई थी और शोक संदेश खुद प्रणब मुखर्जी ने तैयार किया था।
इसके अलावा शर्मिष्ठा मुखर्जी ने सीआर केसवन के एक पोस्ट का हवाला दिया, जिसमें यह बताया गया था कि कांग्रेस ने पार्टी के अन्य नेताओं को सिर्फ इसलिए नजरअंदाज किया क्योंकि वे गांधी परिवार के सदस्य नहीं थे।
इस मुद्दे पर डॉ. मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे डॉ. संजय बारू की किताब ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ पुस्तक का भी उल्लेख किया गया, जिसमें यह जिक्र किया गया था कि कांग्रेस नेतृत्व ने कभी पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के लिए दिल्ली में कोई स्मारक नहीं बनाया, जिनका 2004 में निधन हो गया था। पुस्तक में यह भी दावा किया गया था कि कांग्रेस ने नरसिम्हा राव के दाह संस्कार को दिल्ली में करने के बजाय हैदराबाद में करने की कोशिश की थी।
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