नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Suprim Court) में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बताया कि दिल्ली आबकारी नीति घोटाले (Delhi Excise Policy scam) में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) की गहरी संलिप्तता (deeply involved) थी। सिसोदिया की जमानत का विरोध करते हुए ईडी ने कहा कि इसे साबित करने के लिए उसके पास पर्याप्त दस्तावेज हैं।
सिसोदिया ने घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धन शोधन के अलग-अलग मामलों में जमानत मांगी और तर्क दिया कि वह 17 महीने से हिरासत में हैं और उनके खिलाफ मुकदमा अभी तक शुरू नहीं हुआ है। जस्टिस बीआर गवई व जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष ईडी की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि यह कोई मनगढ़ंत मामला नहीं है, इसमें बहुत सारे सबूत हैं जो सिसोदिया की प्रत्यक्ष संलिप्तता को दर्शाते हैं।
जांच आगे बढ़ने में देरी का जिक्र करते हुए सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सीबीआई और ईडी के दर्ज भ्रष्टाचार और धन शोधन मामलों में कुल 493 गवाह और 69,000 पृष्ठों के दस्तावेज थे। सिंघवी ने पीठ से कहा, सिसोदिया 17 महीने बाद भी जेल में क्यों रहें? यह स्वतंत्रता का बड़ा सवाल है। राजू ने विरोध करते हुए कहा, मेरे पास इस मामले में उनकी (सिसोदिया की) गहरी संलिप्तता को दर्शाने वाले दस्तावेज हैं। ऐसा नहीं है कि वह एक निर्दोष व्यक्ति हैं और उन्हें (बस) उठा लिया गया। राजू ने तर्क दिया कि इन मामलों में कार्यवाही में जांच एजेंसियों की ओर से कोई देरी नहीं हुई है और दोहरे मामलों में आरोपियों ने उन दस्तावेजों का निरीक्षण करने में पांच महीने लगा दिए जो मुकदमे के लिए प्रासंगिक नहीं थे।
ईडी से सुप्रीम सवाल, आप अपराध नीति के बीच रेखा कहां खींचते हैं
राजू के आबकारी नीति के विवरण का हवाला देने पर पीठ ने पूछा, आप नीति और अपराध के बीच की रेखा कहां खींचते हैं? शराब नीति मामले में भूमिका के लिए 26 फरवरी, 2023 को सीबीआई ने सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। 9 मार्च, 2023 को सीबीआई की एफआईआर से उपजे मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया। उन्होंने 28 फरवरी, 2023 को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। सीबीआई और ईडी ने इस मामले में अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं।
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