नई दिल्ली: ठीक से पहुंच गई? ये सवाल हर बेटी ने, हर माँ ने, हर पत्नी ने, हर बहन ने कितनी ही बार सुना होगा. कभी भाई, कभी पिता, कभी पति के मुँह से. चिंता के भाव से लदे ये शब्द हर महिला ने सुने होंगे. किसी घर की बेटी जब असमय घर से निकलती है, तो घर से निकलने और मंजिल तक पहुंचने तक घर के पुरुष पूरी तस्दीक करते हैं कि वो सुरक्षित पहुँची या नहीं. क्यों? क्या वो जानते हैं कि बाहर किस मानसिकता वाले लोग घूम रहे हैं.
लड़ाई होती है तो गाली में भी परिवार की महिलाओं को ही सम्मान से नवाजा जाता है. क्यों? बहुत से आदमी कभी अपनी लड़ाई अकेले नहीं लड़ पाते. बड़े से बड़ा युद्ध हो, दंगा हो या छोटी से छोटी लड़ाई. बदले की कार्रवाई किसी औरत पर फतेह पाकर ही क्यों होती है? हाल ही में सोशल मीडिया पर सामने आया मणिपुर हिंसा से जुड़ा एक वीडियो वीभत्स है, भयावह है, समाज पर तमाचा है, पुरुषों के मुंह पर थूकता है.
ये हर आदमी के मुंह पर कलंक है. हर आदमी मतलब, हर आदमी. वीडियो देखकर हां करने वाले भी और वीडियो से आंखे मूंद लेने वाले भी. इस वीडियो से भी सैडिस्टिक प्लेज़र लेने वाले तमाम मिलेंगे. सरकार निसंदेह सवालों के घेरे में हैं कि आरोपियों में इतनी निर्लज्जता का साहस आया कहां से? लेकिन कम से कम आज सरकार से सवाल पूछते वक्त ये नीयत मत रखना कि मोदी को घेर लिया. मई का वीडियो जुलाई में संसद सत्र शुरू होने के एक दिन पहले ही क्यों आया, ये सवाल भी बेमानी है.
यहाँ कटघरे में पूरा समाज है
ये देश की बेइज्जती तो है लेकिन सवाल पूरे समाज पर भी उठता है और सोशल मीडिया के वो शेर तो इस पर वर्चुअली ना दहाड़े जिन्होनें ज्योति मौर्या के कपड़े फाड़ने में दिन रात एक कर रखा था. दरअसल, रेप या जबरन नंगा कर दिए जाने पर औरत असहाय हो जाती है और तब ही उसके साथ खड़े होने में सहारे वाला भाव आता है. जब औरत मजबूती से अपनी लड़ाई खुद लड़ ले तो सभ्य समाज की रीढ़ टूट जाती है.
छुईमुई सी औरत सबको भाती है मुकाबले में उतर आए तो चालू या चरित्रहीन. लाल किले से प्रधानमंत्री ने एक बार कहा अपने लड़के से सवाल करो. उसी लाल किले से एक बार महिलाओं के सम्मान से जुड़े अपशब्दों पर सवाल किया. लेकिन ये मुद्दे कभी बड़े ही नहीं हो पाते. होली, दीपावली या न्यू ईयर पर भी ऐसे वीडियो आ ही जाते हैं. विपक्ष सरकार को घेर लेता है. रकार शर्मसार होती है. समाज शर्मिंदा होता है. मीडिया- सोशल मीडिया डिबेट करती है और फिर सब चलते बनते हैं.
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