मणिपुर: मणिपुर में पिछले दो दिनों से जारी तनाव थोड़ा शांत होता नजर आ रहा है. ताजा जानकारी के मुताबिक हिंसा में जान गंवाने वालों की संख्या 54 हो गई है जबकि कई लोग घायल हो गए हैं. इस बीच शनिवार को कई इलाकों में शांति नजर आई. दो दिनों तक हिंसा की आग में जले इंफाल में भी हालात सामान्य होते नजर आ रहे हैं. शनिवार को दुकानें और बाजार फिर से खुल गए और सड़कों पर गाड़ियों की आवाजाही भी फिर से शुरू हो गई है.
कई इलाकों में अभी भी भारी संख्या में सुरक्षाबल तैनात हैं. इस बीच केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू का बयान सामने आया है. उन्होंने हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि सरकार इसलिए सभी जरूरी और संभव कदम उठा रही है. इससे पहले शुक्रवार को चुराचंदपुरा से 4 और लोगों के मारे जाने की खबर सामने आई.
जानकारी के मुताबिक इन चार लोगों की मौत उस वक्त हुई जब सुरक्षा बल इलाके से मेइती लोगों को रेसक्यू कर रहे थे. इसके अलावा इंफाल में एक टैक्स असिस्टेंट लेमिनथांग हाओकिप की भी हत्या कर दी गई है. इंडियन रेवेन्यू सर्विस वे इस बात की जानकारी दी है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक शूटिंग तब हुई जब आदिवासियों ने मेइतियों को निकालने के लिए जारी रेस्क्यू ऑपरेशन में बाधा डालने की कोशिश की थी. ये पूरा मामला शुक्रवार शाम का बताया जा रहा है. इससे पहले तक मणिपुर की अधिकतर जगहों पर हालात धीरे-धीरे बेहतर होने की खबरें सामने आ रही थी.
13 हजार लोगों को किया रेस्क्यू
बतां दे, मणिपुर में स्थिति को देखते हुए चप्पे-चप्पे पर सेना की तैनाती की गई है. सुरक्षाबल लगातार पेट्रोलिंग कर रहे हैं. 13 हजार से ज्यादा लोगों को संवेदनशील इलाकों से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. उनके रहने खाने का इंतजाम भी किया गया है.
वहीं दूसरी ओर कई लोग ऐसे थे जो बिगड़ते हालातों को देखते हुए रातों रात घर से भागने को मजबूर हो गए. कई लोग ऐसे हैं जो हिंसा भड़कने के बाद पिछले दो दिनों से घरों में बंद थे. इस हिंसा की चपेट में आए कुछ लोगें के मुताबिक थोड़ी देर तक उन्हें समझ ही नहीं कि उनके साथ क्या हो रहा है. बाद में अहसास हुआ कि उनके घरों पर भीड़ ने हमला किया है. इस दौरान पत्थरबाजी की गई और घरों को जलाने की कोशिश भी की गई.
जानकारी के मुताबिक बुधवार को भड़की हिंसा के बाद घरों, दुकानों और धार्मिक स्थलों पर तोड़फोड़ और आगजवनी की गई. हिंसक भीड़ को देखते हुए कई लोग जान बचाने के लिए जंगलों में भाग गए जबकि कई मणिपुर की सीमा से बाहर चले गए और पड़ोसी राज्यों में शरण ली. कई लोगों ये डर भी था कि उनके इलाकों से सेना के जाते ही भीड़ एक बार फिर हिंसक हो जाएगी, ऐसे में वो भी अपने घरों से भाग गए.
क्यों हो रही हिंसा?
ये पूरा बवाल गैर आदिवासी समुदाय मैतेई को शेड्यूल कास्ट में शामिल किए जाने की मांग से जुड़ा हुआ है. आदिवासी समुदाय मैतेई समुदाय की इस मांग का विरोध कर रहा है. इस मामले में हिसा उस तब भड़की जब मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय की मांग पर विचार करके 4 महीने के अंदर सिफारिश भेजने के लिए कहा. इसी फैसले के बाद कुकी यानी आदिवासी समुदाय और मैतेई यानी गैर आदिवासी समुदाय के बीच हिंसा शुरू हो गई.
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