शिलांग (Shillong) । मणिपुर हिंसा (manipur violence) को लेकर संसद ठप है। इंडिया गठबंधन इस मुद्दे पर संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान देने पर अड़ा है। वहीं, सरकार मणिपुर में शांति स्थापित करने की हर मुमकिन कोशिश में लगी है। इस बीच, पूर्वोत्तर (Northeast) के दूसरे राज्य मैतेई और कुकी समुदायों (Meitei and Kuki communities) के बीच हिंसा को लेकर सतर्क हैं। ताकि, मणिपुर हिंसा की आंच उन तक नहीं पहुंच पाए।
पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में मैतेई और कुकी समुदाय की अच्छी खासी मौजूदगी है। मेघालय की राजधानी शिलांग में भी दोनों समुदायों के लोग रहते हैं। मणिपुर हिंसा को लेकर मैतेई और कुकी समुदायों के बीच छात्रों के बीच झड़प हो चुकी है। मणिपुर से कई कुकी और मैतेई परिवार भागकर शिलांग पहुंचे हैं। इसलिए, पुलिस पूरी एहतियात बरत रही है। स्थानीय लोग भी शांति मार्च निकाल रहे हैं।
शिलांग में हैप्पी वैली, नोंगथिम्मई, नोंगशिलियांग, लैतुमखाह, मदनर्टिंग और कुछ अन्य बिखरी हुई बस्तियां हैं, जहां दोनों समुदायों के लोग रहते हैं। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि इन इलाकों में नियमित रूप से मोबाइल गश्त की जा रही है। पर पुलिस की मुश्किल सिर्फ कानून-व्यवस्था बनाए रखने पर खत्म नहीं होती है। मणिपुर में हिंसा के बाद ड्रग्स का कारोबार बढ़ने की भी आशंका है।
सूत्रों के मुताबिक, मणिपुर हिंसा के बाद ड्रग्स कारोबारी दूसरे राज्यों में जाल फैला रहे हैं। यही वजह है कि मणिपुर हिंसा के बाद मिजोरम और मेघालय में बड़ी तादाद में नशीले पदार्थ जब्त किए गए हैं। मेघालय के जैंतिया हिल्स इलाके में दो अलग-अलग घटनाओं में बड़ी तादाद में नशीली दवाइयां जब्त की गई हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी कीमत 15 करोड़ रुपये से भी अधिक आंकी गई है।
मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा सरकार खास एतियात बरत रही है क्योंकि, राज्य में नशे की लत वाले लोगों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। करीब 35 लाख की आबादी वाले राज्य में 2.5 लाख लोग नशे की आदी हैं। राज्य कल्याण मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें महिलाएं और नाबालिग भी हैं। इसलिए भी सरकार मणिपुर में चल रही हिंसा को लेकर काफी सतर्क है। इसके लिए राज्य सरकार स्थानीय लोगों के साथ मिलकर मुहिम चला रही है।
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