नई दिल्ली. राज्यसभा (Rajya Sabha) से मणिपुर (Manipur) में राष्ट्रपति शासन (President’s rule) लागू करने के लिए एक वैधानिक प्रस्ताव (Statutory proposals) को मंजूरी दी है. विभिन्न दलों के सदस्यों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है. हालांकि, विपक्ष ने राज्य में कानून-व्यवस्था और हिंसा रोकने में विफल रहने के लिए केंद्र की मोदी सरकार की आलोचना की. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि वह राज्य में स्थिति सामान्य करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. विपक्ष इस पर बस राजनीति कर रही है.
सरकार हिंसा खत्म करने में लगी: अमित शाह
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा के बाद राज्यसभा में मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने के प्रस्ताव पेश किया. जिसे दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई है. शाह ने बताया कि मणिपुर के दोनों समुदायों के बीच जल्द ही दिल्ली में बैठक होने जा रही है. इस मुद्दे का समाधान जल्द ही होगा.
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अमित शाह ने कहा, ‘सरकार मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. अब तक 13 बैठकें हो चुकी हैं. विपक्ष इस संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति ना करे. अब तक हिंसा होने के बाद मणिपुर में 260 लोग मारे गए हैं, मगर इसमें से 70 प्रतिशत लोग पहले 15 दिन में ही मारे गए थे. एक प्रकार से पहले 15 दिन में कंट्रोल आने में स्वाभाविक रूप से जब नस्लीय हिंसा होती है. तो पहले 15 दिन में इसको कंट्रोल करना बहुत कठिन होता है और ये पहली बार मणिपुर में नस्ली हिंसा नहीं हुई है. मणिपुर में अब तक 11 बार राष्ट्रपित शासन लगाया गया है. हमने तो केवल एक बार लगाया है. नॉर्थ ईस्ट में पिछले 10 सालों में सुरक्षा घटनाओं में 70% कमी आई है’.
अमित शाह ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि 1993 में नागापुकी संघर्ष हुआ, जो कि 1998 तक चला. जिसमें 750 लोग मारे गए. क्या उस समय के प्रधानमंत्री वहां गए? नहीं गए, इनके (विपक्ष) के प्रधानमंत्री थे. 1993 में महतई पंगल संघर्ष हुआ. इसमें 150 से ज्यादा लोग मारे गए. उस समय पीवी नरसिम्हा राव थे, जो कि मणिपुर नहीं गए और सात महीने तक हिंसा चलती रही. ये इतिहास बताता है कि मणिपुर में जातीय संघर्ष होते आया है.
मणिपुर हिंसा रोकने में केंद्र नाकाम: मल्लिकार्जुन खड़गे
कांग्रेस के अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मणिपुर हिंसा रोकने में विफल रहने के लिए केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है. खड़गे ने कहा कि मणिपुर में बीजेपी की डबल इंजन सरकार बुरी तरह फेल हुई है. सत्तारूढ़ दल पर जब दबाव पड़ा तो वहां के मुख्यमंत्री को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा. मणिपुर में हुई हिंसा के कारणों और इससे जुड़े पक्षों का विस्तार से विश्लेषण होना चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को दोहराया ना जा सके.
खड़गे ने मणिपुर हिंसा की गहन जांच की मांग की है. साथ ही केंद्र सरकार से श्वेत पत्र जारी करने को कहा है. खड़गे बोले- मणिपुर में सैकड़ों लोग मरे हैं. महिलाओं के साथ रेप, घर जले, बच्चों की तालिम खत्म और स्कूल-कॉलेज बंद हो गए हैं. लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. अब ऐसे स्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनकी व्यवस्था छोड़कर जमाने की बात कर रहे हैं. सरकार की तुलना करने का समय नहीं है. यह समाधान की जरूरत है. मणिपुर का समाधान करने में सरकार विफल रही है.
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