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    मेनका और वरुण गांधी ने छोड़ी पीलीभीत सीट, नहीं भरा नामांकन, 35 साल बाद यह पहला मौका

  • March 28, 2024

    पीलीभीत (pilibhit) । राजनीतिक अखाड़े में पीलीभीत लोकसभा सीट (Pilibhit Lok Sabha seat) और मेनका गांधी परिवार (Maneka Gandhi family) एक दूसरे के पर्याय बन चुके थे। साल 1989 से इस सीट पर कभी मेनका गांधी तो कभी उनके पुत्र वरुण गांधी (Varun Gandhi) सांसद बने। इन दोनों का इस सीट से करीब 35 साल का नाता रहा। 18वीं लोकसभा चुनाव के लिए बुधवार को नामांकन का समय बीतने के साथ अब इस रिश्ते पर ब्रेक लग गया। बुधवार को समर्थकों और जनता के बीच दिनभर यह चर्चा होती रही कि वरुण का अगला कदम क्या होगा लेकिन उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। हालांकि तीन बजे नामांकन का वक्त बीतने के बाद सभी को सवालों के जवाब मिल गए।

    करीब 35 साल बाद पीलीभीत के लोकसभा चुनाव में यह पहला मौका है जब गांधी परिवार से (मेनका गांधी/वरुण गांधी) किसी ने नामांकन नहीं किया। संजय गांधी की मृत्यु के बाद 1983 में राष्ट्रीय संजय मंच के बैनर तले पीलीभीत में एंट्री करने वाली मेनका गांधी ने न केवल अपने लिए मिनी पंजाब के नाम से मशहूर इस जिले में जगह बनाई बल्कि पुत्र वरुण गांधी को भी यहीं से राजनीति का ककहरा सिखाया।


    राजनीतिक रूप से परिपक्व हुए वरुण गांधी 2009 में पहली बार पीलीभीत से ही सांसद बने। यहां सांसद रहते युवा उम्र में उन्हें 2013 में भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया और बंगाल के प्रभारी की भी जिम्मेदारी दी गई थी। इसके बाद वह 2019 में भी पीलीभीत सीट से चुनाव लड़े और सांसद बने।

    मेनका गांधी ने पहले खुद फिर वरुण के लिए बनाई जगह
    मेनका गांधी ने अपनी सियासी पारी का आगाज संजय गांधी के निधन के बाद 1984 में अमेठी से किया था। हालांकि राजीव गांधी के खिलाफ वह पहला चुनाव हार गईं। इसके बाद उन्होंने पीलीभीत सीट को चुना। साल 1989 में जनता दल के टिकट पर पीलीभीत सीट से चुनावी मैदान में उतरीं तो तराई के लोगों ने मेनका को सिर-आंखों पर बैठाया, वह जीतकर संसद पहुंचीं। हालांकि इसके बाद 1991 में उन्हें यहां से हार का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद 1996, 98 और 99 में पीलीभीत वालों ने उन्हें फिर से संसद तक पहुंचाया। इसके बाद 2004 और 2014 के लोकसभा चुनाव में वह पीलीभीत सीट से फिर विजयी रहीं।

    पीलीभीत सीट: 1989 के बाद कब कौन जीता
    वर्ष – विजयी प्रत्याशी-दल
    1989- मेनका गांधी- जनता दल
    1991- परशुराम गंगवार- भाजपा
    1996- मेनका गांधी- जनता दल
    1998- मेनका गांधी- निर्दलीय
    1999- मेनका गांधी- निर्दलीय
    2004- मेनका गांधी- भाजपा
    2009- वरुण गांधी- भाजपा
    2014- मेनका गांधी- भाजपा
    2019- वरुण गांधी- भाजपा

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