प्र- मेने मेरे पिता को खो दिया है और मुझे लगता है कि वो मेरी वजह से इस दुनिया में नहीं हैं। मुझे बार बार ये ख्याल परेशान कर रहा हैं और मैं पैनिक हो रहा हूँ। कृपया मदद करें।
ऊ- अपने आप के पिता कि मृत्यु का कारन तो नहीं बताया, पर वजह जो भी रही हो, आप नहीं हो सकते। कारन बड़ा सीधा सा हैं- ये जीवन मृत्यु आपके या हमारे हाथ मे है ही नहीं ।हम ऐसी किसी भी घटना से बस खुद को जोड़ लेते हैं और ऐसा मानने लगते हैं कि इसके लिए हम जिम्मेदार है। आप खुद ही सोचिये यदि आपके हाथ मे होता तो क्या आप अपने पिता को जाने देते? नहीं ना। जो हो चुका हैं उसे स्वीकार करे। आप जितना खुद को दोष देंगे, जितनी बार ये विचार करेंगे, उतना ही आत्म-ग्लानि से ग्रसित होते जायेंगे और अपना मानसिक स्वस्थ्य ख़राब करते चले जायेंगे।अपने बाकी परिवार के बारे में सोचे। कुछ करना ही हैं तो अपने पिता के सपनो पर काम कीजिये या खुद कुछ ऐसा कीजिये कि वो जहा भी हो आप पर गर्व कर सकें। जीवन रुकने का नाम नहीं हैं। अभी की मानसिक स्तिथि को ठीक करने के लिए आप अध्यात्म का सहारा ले सकते हैं, या किसी योग-ध्यान से जुडी संस्था को भी ज्वाइन कर सकते हैं। खुद को सकारात्मक कार्यों में लगा के रखेंगे तो जल्द ही वास्तविकता को स्वीकारते हुए आगे बढ़ने का हौसला मिल जायेगा।
प्र- मेरे परिवार ने मेरा रिश्ता एक अच्छे घर के लड़के से तय किया था। हम दोनों भी एक दूसरे को पसंद करने लगे। मेल जोल बढ़ने लगा और एक कमजोर लम्हे मे हमारे बीच शारीरिक सम्बन्ध भी स्थापित हो गए। लेकिन बाद में परिवारों के बीच आपसी मतभेद के चलते हमारी सगाई टूटने की नौबत आ गयी है। समझ नहीं आ रहा क्या करुँ। मेरा परिवार पुराने ख़यालात के है।
ऊ- यदि आप एक दूसरे को पसंद करते है और वाक़ई में शादी करना चाहते है तो आप को उचित तरीके से अपनी बात अपने माता-पिता व परिवार के अन्य बड़ों तक पहुचानी चाहिए। आप किसी विश्वसनीय व्यक्ति के माध्यम से भी अपनी बात आगे रख सकते है। पर इसके लिए आप और आपके मंगेतर दोनों को साथ खड़े होना होगा, अपनी बात पर अटल रहना होगा। बात-चीत से कई मसलों का हल निकल जाता है, जरूरत है शांत मन से अपनी बात रखने की। शुरुवात आप ऐसे व्यक्ति से करें जिससे आपको उम्मीद है कि वो आपकी बात समझेंगे। फिर अन्य लोगो तक पहुंचे। जल्दबाज़ी मे कोई गलत फैसला ना ले। धीरे धीरे सब ठीक हो जायेगा।
प्र- मेरा कंस्ट्रक्शन का काम ठीक नहीं चल रहा है। दूसरा काम शुरू किया, उसमे भी परेशानी आ रही है। अत्यधिक तनाव मे हूँ।उपाय बताएं।
ऊ- पिछले वर्ष से जो हालात निर्मित हुए है, उनमे कई ऐसे लोग है जिनके रोजगार व्यापार को हानि हुई है। आपको ये समझना होगा कि ये नुक्सान परिस्थितिजन्य है । आप इसके दोषी नहीं है। बस समय अनुकूल नहीं है।अभी लोगो की प्राथमिकता स्वयं का और परिजनों का स्वस्थ्य है, ना कि कुछ और। पर धैर्य रखिये, यह कुछ दिनों की ही बात है। चंद महीनो में दुनिया फिर से सामान्य हो जाएगी और आपका काम भी अच्छे से चलने लगेगा। जब तक जितना संभव हो, प्रयास करे और अपना एवम अपने परिवार का ध्यान रखे। ये समय आप आने वाले कल के बेहतर नियोजन में लगा सकते है। अपना व्यावसायिक नेटवर्क बढ़ा सकते है, लोगो से संपर्क कर नए समीकरण बना सकते है। सूझ बूझ से काम ले और हतोऊत्साहित न हो। धीरे धीरे सब ठीक हो जायेगा।
अगर आप भी अपनी एसी ही समस्या का निवारण चाहते है तो हमे अपनी समस्या लिख कर 9329467141 पर Whatsaap करे!
हमारे मनोवैज्ञानिक सलाहकार तपन पंडित आपकी मदद के लिए तत्पर है।
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