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    “मन-मीत” – जो सुलझाए आपके मन की उलझन

  • May 09, 2021

    प्र1- मेरा 18 वर्षीय बेटा एक्टिंग मे करियर बनाने की ज़िद कर रहा है और वो हालात सुधरते ही मुंबई जाना चाहता है। पर मुझे नहीं लगता वो एक्टर बन सकता है।अभी का महत्वपूर्ण समय वो फालतू की ज़िद मे बर्बाद कर लेगा, डिप्रेशन में चला जायेगा। क्या करुँ, कुछ समझ नहीं आ रहा।
    ऊ- एक माँ होने के नाते आपकी चिंता जायज़ है पर आपको क्या लगता है, इससे ज्यादा जरूरी है वास्तविकता क्या है? क्यों आपका बेटा एक्टर बनाना चाहता है? वो इस निर्णय पर कैसे आया? 18 साल काम आयु नहीं है, उसने कुछ सोच समझ के निर्णय लिया होगा।आप इस निर्णय के पीछे के कारण का पता लगाइये। यदि उसकी रूचि है, और स्कूल मे ड्रामा इत्यादि में वह लगन से भाग लेता आया है, तो आपको उसे एक मौका देना चाहिए। यदि वजह फ़िल्मी चकाचोंध और शोहरत इत्यादि है, तो आपको उसे समझाना चाहिए, रोकना चाहिए। ये उम्र का ऐसा दौर है जहां माता-पिता को जबरजस्ती अपना निर्णय बच्चों पे थोपने की जगह उनसे बात करके, उन्हें समझ कर निर्णय लेना चाहिए। आप भी खुल कर अपने बेटे से सारी बाते करिये, जरूर सही रास्ता निकल आएगा। और रहा सवाल डिप्रेशन में जाने का, अभी इस विषय में सोचना जल्दबाज़ी होगी। आप बस उन्हें उनके निर्णय से सम्बंधित चुनौतियों से रूबरू करवा दें और फिर भी वो आगे बढ़ें तो आप खुले मन से उसका साथ दें।परिवार का साथ बच्चो की सबसे बड़ी ताकत होती हैं। उम्मीद हैं आप सही निर्णय ले पाएंगी।

    प्र2- महामारी के कारन जो हालात बने है, इस सब को देख के अत्यधिक बेचैनी और तनाव रहता है। डर सा लगा रहता है। ऐसे मे क्या करें?
    ऊ- परिस्तिथियाँ अभी कठिन है, इसमें कोई शक नहीं है। लेकिन यदि आप घर पर है, स्वस्थ है, तो अकारण तनाव और चिंता मोल लेने की जरुरत नहीं है। तनाव आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को और कमजोर करेगा, जिसकी अभी सबसे ज्यादा जरूरत है। साथ ही, आप तनाव के कारण को समझे। तनाव या भय महामारी से कम, सब तरफ से आ रही नकारात्मक जानकारियों से ज्यादा है। कितने ही लोग इस बीमारी से जीत कर घर आ गए, कितने तो घर में ही उपचार से स्वस्थ्य हो गए लेकिन हमारा ध्यान इस तर्क से ज्यादा अन्य जानकारियों पर जाता है। साथ ही, हम एक ही एक विषय पर बार बार विचार कर रहे है, सोच रहे है। जितना आप बीमारी के या हालत के बारे में सोचेंगे, उतना अधिक परेशान होंगे। जितना आप इसके बारे में बात करेंगे, उतना आप चिंता में घिरते जायेंगे। बेहतर है आप अपना ध्यान सही जगह लगाएं। उचित आहार लें, व्यायाम करें, खुद को किसी कार्य में व्यस्त रखे। अपने मन को खुश रखने के प्रयास करे। व्यर्थ की बातचीत और जानकारियों से दूर रहें। आप खुद का और अपने परिजनों का बेहतर ध्यान रखें। शासन द्वारा और डॉक्टर्स द्वारा बताई गयी सावधानियाँ रखे। यही आपका योगदान होगा देश को इस परिस्तिथि से बाहर लाने में। स्वयं आशावादी बने रहे और लोगो को भी हिम्मत बांधते रहे। जल्द ही सब ठीक होगा।

    प्र3- मैं कुछ निजी कारणों से इतनी फ़्रस्ट्रेशन (निराशा) में हूँ कि हर समय बहुत नाराज़ और चिड़चिड़ी रहती हूँ और इस वजह से में अपने घर और ऑफिस दोनों पर ध्यान नहीं दे पा रही हूँ। जीवन में इतना कुछ देखा खोया कि अब तो जीना भी अच्छा नहीं लग रहा।
    ऊ- जितना अपने बताया उस आधार पर लगता है कि आप खुद से नाराज़ है, असंतुष्ट है। इसका कारण स्वयं से अत्यधिक अपेक्षा रखना भी हो सकता है। इन दिनों घर और ऑफिस एक साथ संभालना भी आसान काम नहीं है। जब स्तिथियाँ हमारे नियंत्रण में न हो तो निराशा घर करने लगती है। ऑफिस और घर-परिवार सब संभल जायेगा अगर आप संभल जाएँगी। यदि आप का मन अच्छा नहीं हुआ तो बाहर आप कितना भी प्रयास करें, कुछ ज्यादा हासिल नहीं होगा। सबसे पहले आपके मन में जो भी नकारात्मक भावनाएं हैं, उन्हें बाहर कीजिये। इसके लिए आप अपने विश्वसनीय और करीबी व्यक्ति से मन की सारी बातें कह डालिये। अन्यथा एक डायरी में अपने मन की बाते लिख दीजिये।मन हल्का हो जायेगा तो बेहतर मेहसूस होगा। साथ ही, खुद को दोष देना बंद कीजिये। हर व्यक्ति कभी न कभी आपकी मनोदशा से गुज़रता है, जोआप महसूस कर रही है वह परिस्तिथि-जन्य है।आप स्वयं के लिए थोड़ा समय निकालें।अपना ध्यान रखिये, जिससे आपका मन अच्छा हो, ऐसे काम कीजिये। तरीका क्या होगा, ये आपको तय करना पड़ेगा पर मन को बेहतर स्तिथि में लाना ही होगा। और जीवन अच्छा बुरा नहीं, समय-स्तिथि अच्छी बुरी होती है।आपके पास भी निश्चित ही जीवन जीने के कारण होंगे, उन्हें देखिये। थोड़ा सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं, समय के साथ सब ठीक हो जायेगा।

    अगर आप भी अपनी एसी ही समस्या का निवारण चाहते है तो हमे अपनी समस्या लिख कर 9329467141 पर Whatsaap करे! 

     हमारे मनोवैज्ञानिक सलाहकार तपन पंडित आपकी मदद के लिए तत्पर है।  

    * यह मंच साधारण मानसिक समस्याओं पर चर्चा हेतु विकसित किया गया है। कृपया गंभीर मनोरोगों के लिए किसी मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक से निजी परामर्श ले। हम किसी प्रकार का उपचार या समाधान प्रदान करने का दावा नहीं करते है।

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