प्र- मेरी उम्र 16 वर्ष है। मेरा अफेयर मेरी क्लास के एक लड़के से पिछले २ वर्ष से चल रहा है । पहले तो सब ठीक था पर पिछले कुछ महीनो से वह मुझसे शारीरिक सम्बन्ध बनाने का दबाव बना रहा है और कई बार मुझसे ऐसे बातें करता है जिनसे मैं असहज हो जाती हूँ। मैं भी उसे बहुत पसंद करती हूँ, पर समझ नहीं आ रहा क्या करुँ? क्या मुझे उसकी बात मान लेनी चाहिए?
ऊ- आप जीवन के जिस पड़ाव पर है, वहां शारीरिक आकर्षण होना या अंतरंगता की और रुझान होना स्ववाभिक है। आपके मित्र का आपके प्रति आकर्षण भी गलत नहीं है। लेकिन सम्बन्ध बनाने का दबाव सरासर गलत है। ये पूर्णतः निजी निर्णय है, जब तक आप इसके लिए तैयार नहीं है, आप मना कर सकती है। ऐसे सम्बन्ध बनाने के लिए शारीरिक परिपक्वता के साथ मानसिक परिपक्वता भी काफी जरूरी है। अपने मित्र को अपनी भावनाओ से अवगत करवाए, और किसी दबाव मे न आये। ध्यान रखे इस उम्र में लिए गए निर्णय आपके व्यक्तित्व और जीवन पर खासा प्रभाव छोड़ते है। यदि किसी दबाव में या अपने मित्र की ख़ुशी के लिए आपने सम्बन्ध बना भी लिया तो हो सकता है आप ग्लानि से भर जाये और हमेशा के लिए अपना आत्मविश्वास खो दे। इसलिए जब तक स्वयं इस तरह के रिश्ते के लिए आप मन से तैयार नहीं हो जाती, बेहतर है आप आगे न बढ़ें।
प्र.2- मैं पिछले कुछ महीने से बहुत परेशान हूँ। २-3 साल पहले की कुछ घटनाये मेरे दिमाग मे बार-बार आ रही है जिनके कारण मैं ठीक से सो भी नहीं पा रहा हूँ और दिनों दिन अवसाद मे जा रहा हूँ । कृपया उचित मार्गदर्शन करें।
ऊ- आपके प्रश्न मे आपने पूरी जानकारी नहीं दी हैं कि घटना क्या थी और आपसे कैसे सम्बंधित हैं । परन्तु सामान्यतः देखे तो अतीत से आगे निकल कर वर्त्तमान मे जीना ही एकमात्र समाधान है ।
आप सोचिये क्या आप दोबारा २-३ साल पहले जो बीत चुका है उसको ठीक कर सकते है? नहीं ना! वैसे भी हर स्थिति के दो पक्ष होते हैं- एक वह जो हमारे हाथ मे हैं, जिसका हम कुछ कर सकते हैं और दूसरा वो जो हमारे नियंत्रण से बाहर हैं, जिसका हम कुछ नहीं कर सकते।
आपको खुद ये आँकलन करना होगा कि जिस बात से आप परेशान हैं, क्या उससे सम्बंधित कुछ ऐसा हैं जो आज किया जा सकता हैं, जिससे आपको कुछ राहत मिले? यदि हां, तो कीजिये। यदि नहीं, तो उन बातो से खुद को परेशान कर के क्या हासिल होगा? बेहतर हैं आप वर्त्तमान और उज्जवल भविष्य की और देखे । ईश्वर ने आपको भी निश्चित तौर पर मुस्कुराने की कुछ वजह तो जरूर दी होंगी, उनकी तरफ ध्यान दीजिये। अपने मन को अच्छे विचारो और कार्यों मे लगाइये । धीरे -धीरे सब अच्छा हो जायेगा।
प्र-3 – मुझे करीब 25 साल से डिप्रेशन की बीमारी हैं । अभी करीब साल भर पहले से मुझे घबराहट बेचैनी बढ़ गयी थी जिससे मुझे काफी तकलीफ हुई थी। क्या बेचैनी घबराहट भी डिप्रेशन की निशानी हैं ? मुझे इस बीमारी से बाहर आना हैं, कृपया मार्गदर्शन करें।
ऊ- नहीं, डिप्रेशन और बेचैनी दो अलग अलग बातें हैं, दोनों मे अंतर हैं । डिप्रेशन मे सामान्यतः व्यक्ति को अरुचि हो जाती हैं, वह उदास रहने लगता हैं, उसका किसी काम मे मन नहीं लगता, भूक प्यास भी कम हो जाती हैं और वह अकेला रहने लगता हैं। जहां तक बात हैं बेचैनी और घबराहट की तो उसमे व्यक्ति बैठ भी नहीं पाता, वो व्याकुल हो जाता हैं , विचार बहुत तेजी से दिमाग मे चलते हैं। ऐसे देखा जाये तो वर्त्तमान परिस्तिथियों मे जो भी कुछ घट रहा हैं उसको देख के अच्छे मजबूत मन के व्यक्ति को भी थोड़ी घबराहट हो ही जाएगी, तो आप को ऐसा होना कोई असामान्य बात नहीं। अक्सर जब हम नकारात्मक सूचनाओं से रु-ब-रु होते हैं तो मन बेचैन होता हैं, घबराता हैं । अभी पिछले 1 साल से हम लगातार ही नकारात्मक सूचनाओं से घिरे हुए हैं, ऐसे मैं अपने मन को मजबूत बनाने के लिए विशेष प्रयत्न करने होंगे। खुद को जितना संभव हो, नकारात्मकता से दूर रखे। जीवन के अच्छे पहलुओं की तरफ ध्यान दे । अच्छी दिनचर्या का पालन करें। परिवार के साथ अच्छा समय बिताये। मन अच्छा रहेगा तो सब अच्छा होगा। उम्मीद हैं आप की मनोस्तिथि जल्द ही बेहतर हो जाएगी।
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