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मन की बात, बड़ी सौगात

April 26, 2023

– अनुराग सिंह ठाकुर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सार्वभौमिक रूप से असाधारण प्रतिभा के धनी वक्ता हैं। जनता के साथ तत्काल संवाद स्थापित करने की उनकी शैली अनूठी है। वो जिस लगन के साथ बोलते हैं और जिस निष्ठा के लिए जाने जाते हैं, वह पिछले आठ वर्षों में विश्वास-आधारित संवाद ‘मन की बात’ से और प्रगाढ़ हुआ है। उनके समावेशी दृष्टिकोण को देश के सभी भागों में अभूतपूर्व स्वीकृति मिली है। यह प्रधानमंत्री मोदी के विकास का लोक केंद्रित मॉडल ही है, जिसने उन्हें आम लोगों का प्रिय बना दिया है। ‘मन की बात’ कार्यक्रम को अक्टूबर 2014 में लॉन्च किया गया था। वर्षों से यह महीने के अंतिम रविवार के लिए नियत किया गया है। यह एक रेडियो वार्ता के रूप में शुरू हुआ था; लेकिन अब इसे एक साथ विभिन्न प्लेटफार्मों पर कई भाषाओं में प्रसारित किया जाता है।

‘मन की बात’ में उनके दो व्यक्तित्व के दो चेहरे उभरते हैं। एक-मजबूत, शक्तिशाली और उद्देश्यपूर्ण प्रधानमंत्री। दूसरा नम्र, दयालु और नेक पिता तुल्य अभिभावक। यदि आप आंख बंद करके ‘मन की बात’ सुनें, तो आप सोचेंगे कि मोदी जी गांव की चौपाल पर बैठे हैं। लोगों से बातचीत कर रहे हैं। उनकी बातें सुन रहे हैं। उनसे साथ संवाद कर रहे हैं। जहां जरूरत हो वहां ज्ञान भरी सलाह दे रहे हैं या किसी अनुकरणीय कार्य के लिए किसी की तारीफ कर रहे हैं।


हाल ही में उन्होंने दुर्घटना पीड़ितों के परिवारों के साथ अपनी बातचीत साझा की, जिन्होंने बहादुरी से अपने प्रियजनों के अंग दान करने के फैसले किए थे। मोदी जी ने उस बातचीत का उपयोग अंगदान के नेक विचार को बढ़ावा देने के लिए किया। ऐसे कई उदाहरण दिए जा सकते हैं, जिनमें जलवायु की विपरीत स्थितियों से निपटने से लेकर स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़े सामान्य लोगों के अच्छे कार्यों के लिए उन्हें उदार मन से बधाई देना आदि शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी की ‘मन की बात’ अनिवार्य रूप से वास्तविक जीवन की कहानियों और अनुभवों के बारे में है। ऐसी कहानियां, जो वास्तविक भारत को दर्शाती हैं और लुटियंस दिल्ली की संकीर्ण सीमाओं से परे हैं। इसी वजह से ‘मन की बात’ का हर एपिसोड अत्यधिक लोकप्रिय होता है और इसे लाखों प्रतिक्रियाएं मिलती हैं। यह लोगों के साथ प्रतिध्वनित होता है, क्योंकि यह उनकी चिंताओं के बारे में है।

‘मन की बात’ का पहला एपिसोड तीन अक्टूबर, 2014 को प्रसारित किया हुआ था। यह 30 अप्रैल, 2023 को 100 एपिसोड पूरे करेगा। ‘मन की बात’ अपनी विषय वस्तु, डिजाइन, बातचीत और आम लोगों तथा समग्र रूप से समाज के साथ संवाद करने के अभिनव तरीके के मामले में अद्वितीय है। 262 रेडियो स्टेशनों और 375 से अधिक निजी और सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के साथ दुनिया के सबसे बड़े रेडियो नेटवर्क ‘ऑल इंडिया रेडियो’ के माध्यम से, भारतीय प्रधानमंत्री सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से विभिन्नता वाली विशाल आबादी तक पहुंचते हैं। वो लोगों को सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक मुद्दों पर ही नहीं बल्कि जलवायु परिवर्तन, अपशिष्ट प्रबंधन, ऊर्जा संकट जैसी चुनौतीपूर्ण समस्याओं पर भी प्रेरित व सक्रिय करते हैं।

भारतीय लोक प्रसारक प्रसार भारती ‘मन की बात’ का अनुवाद और प्रसारण 52 भाषाओं और बोलियों में करता है। इनमें 11 विदेशी भाषाएं शामिल हैं। इसका मकसद है ‘मन की बात’ की देश के सबसे दूरदराज क्षेत्रों से लेकर विदेशों में रहने वाले भारतीयों तक पहुंच सुनिश्चित हो सके। ‘मन की बात’ भारत का पहला वर्चुअल रूप से समृद्ध रेडियो कार्यक्रम है, जिसे टीवी चैनलों द्वारा एक साथ प्रसारित किया जाता है। दूरदर्शन नेटवर्क के 34 चैनल और 100 से अधिक निजी सैटेलाइट टीवी चैनल इस अभिनव कार्यक्रम को देश भर में प्रसारित करते हैं। फरवरी 2022 से हर महीने विशेषज्ञों और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े अग्रणी व्यक्तियों के लेखों के साथ एक स्मार्ट तरीके से तैयार पुस्तिका भी प्रकाशित की जा रही है, जो डिजिटल रूप से 60 मिलियन से अधिक लोगों तक पहुंचती है।

इतने व्यापक प्रभाव के साथ ‘मन की बात’ को सामाजिक क्रांति के रूप में देखा जा रहा है (जो सही भी है)। इस कार्यक्रम को जनभागीदारी से ठोस आधार प्राप्त होता है। इस कार्यक्रम की परिकल्पना और कार्यान्वयन, नागरिकों के साथ जुड़ाव और भागीदारी के विचार पर आधारित है। यह कार्यक्रम के नाम से लेकर विषयों की पसंद और लोगों द्वारा सक्रियता से काम करने के आह्वान तक से परिलक्षित होते हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री इस कार्यक्रम में शामिल करते हैं। प्रत्येक एपिसोड व्यक्तियों की परिवर्तनकारी शक्ति में प्रधानमंत्री के अटूट विश्वास के आधार पर तैयार किया जाता है और शासन में जनभागीदारी को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ‘मन की बात’ के माध्यम से प्रधानमंत्री देशभर के लाखों लोगों तक अपनी बात पहुंचाने में सफल रहे हैं। वे इस प्लेटफार्म का देश के लिए अपने दृष्टिकोण को साझा करने में उपयोग करते हैं और राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया में नागरिकों की सक्रिय भागीदारी चाहते हैं।

‘मन की बात’ का प्राथमिक उद्देश्य भारत के प्रधानमंत्री और देश के नागरिकों के बीच सीधा संपर्क बनाना है। हर महीने प्रधानमंत्री को देशभर से लाखों पत्र मिलते हैं, जिस पर वे कार्यक्रम के दौरान प्रकाश डालते हैं। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री का लोगों से टेलीफोन पर बातचीत करना भी कोई असामान्य बात नहीं है। निर्वाचित नेता और जनता के बीच संचार का ऐसा तरीका लोकतंत्र और शासन में लोगों के विश्वास को काफी मजबूत करता है।

‘मन की बात’ के आठ वर्ष के 99 एपिसोड के सफल बनाने के क्रम में, न केवल महत्वपूर्ण मुद्दों के बारे में जनता में जागरुकता पैदा करने का प्रयास किया गया है, बल्कि उन्हें सामाजिक और राष्ट्रीय हितों को लेकर कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया गया है। बदलाव लाने वालों की प्रेरक कहानियां इस कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताओं में से एक हैं। ऐसी कहानियां लाखों अन्य लोगों को भी प्रेरित करती हैं।
अपनी शुरुआत से लेकर, ‘मन की बात’ पूरे देश में समुदायों को शामिल करने वाले सामाजिक आंदोलनों को उत्प्रेरित करने वाले जन आंदोलन के एक प्रभावी उपकरण के रूप में उभरा है। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए सामाजिक संदेश कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया ट्रेंड बन जाते हैं और कुछ ही हफ्तों में एक जन आंदोलन बन जाते हैं। ‘स्वच्छ भारत अभियान’, ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’, ‘कोविड टीकाकरण’ और ‘हर घर तिरंगा’ इसके कुछ शानदार उदाहरण हैं। हाल ही में ‘मन की बात’ के 88वें एपिसोड में प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला और नागरिकों से अपने इलाके में अमृत सरोवर बनाने का आग्रह किया। कुछ महीनों के भीतर, प्रधानमंत्री का यह संदेश एक जन आंदोलन में परिवर्तित हो गया और देश भर में कई अमृत सरोवर तैयार हो गए।

इसके 92वें एपिसोड में प्रधानमंत्री ने नागरिकों के त्वरित प्रयासों की सराहना की। उन्होंने उत्तर प्रदेश के ललितपुर में भगत सिंह अमृत सरोवर और कर्नाटक के बिलकेरूर में अमृत सरोवर जैसे विभिन्न अमृत सरोवरों के बारे में चर्चा की। ‘सशक्त भारत’ के निर्माण के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए, ‘मन की बात’ का यह कार्यक्रम देश की उन राष्ट्रीय एवं वैश्विक सफलताओं को उजागर करने पर केन्द्रित है, जो नागरिकों में गर्व, अपनेपन और राष्ट्रवाद की भावना पैदा करते हैं। यही भावना देश के विकास में भाग लेने को प्रेरित करती है। इस कार्यक्रम की 89वीं कड़ी में प्रधानमंत्री ने भारत में यूनिकॉर्न की संख्या के 100 के आंकड़े तक पहुंचने पर प्रकाश डाला। इसकी 91वीं कड़ी में, ‘हर घर तिरंगा’ अभियान की सामूहिक भागीदारी और देशव्यापी सफलता का उत्सव मनाया गया। ऐसे कई और उदाहरण हैं जो यह दिखाते हैं कि कैसे ‘मन की बात’ सिर्फ एक रेडियो कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह भारत के समग्र विकास का प्रतिबिंब और सार्वजनिक भागीदारी की अभिव्यक्ति है।

‘मन की बात’ कार्यक्रम के माध्यम से प्रधानमंत्री ने सफलतापूर्वक कल्याणकारी योजनाओं और नीतियों को हर स्तर पर लोगों तक पहुंचाने और इसके बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए एक तंत्र स्थापित किया है। इतना ही नहीं, इसके माध्यम से प्रधानमंत्री यह भी बताते हैं कि कैसे ये योजनाएं जमीनी स्तर पर लोगों को लाभान्वित करती हैं और अधिक से अधिक लोगों को इन योजनाओं का लाभार्थी बनने के लिए प्रेरित करती हैं।

संकट के समय में भी, इस कार्यक्रम ने लोगों में ऊर्जा का नया संचार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उदाहरण के लिए इसने कोविड महामारी के दौरान लोगों को वस्तुस्थिति से अवगत कराया और उन्हें टीका लगवाने के लिए प्रेरित किया। भारत की टीके की कहानी की सफलता का श्रेय काफी हद तक ‘मन की बात’ कार्यक्रम को जाता है। यही हमारे जीवन में ‘मन की बात’ कार्यक्रम की प्रासंगिकता और इसके महत्व का पर्याप्त प्रमाण है।

(लेखक, भारत सरकार में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री हैं।)

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