नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को 2024 के लोक सभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में आखिर कौन चुनौती दे सकता है. कांग्रेस पार्टी(Congress Party) की बात करें तो वो आज भी राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को ही विपक्ष का सबसे बड़ा चेहरा मानती है. लेकिन 2014 और 2019 के लोक सभा चुनाव में राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी(Congress Party) इतनी भी सीटें नहीं जीत पाई कि उसे लोक सभा में विपक्ष का दर्जा तक मिल सके. लोक सभा (Lok Sabha) में विपक्षी दल का दर्जा पाने के लिए 55 सीटें चाहिए और कांग्रेस पार्टी(Congress Party) को 2014 में 44 और 2019 में 52 सीटें ही जीत पाई.
ऐसे में ज्यादातर विपक्षी दलों के नेता ये मानने को तैयार ही नहीं हैं कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) 2024 में भी प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) को चुनौती दे सकते हैं. यानी पीएम मोदी (PM Modi) के खिलाफ राहुल एक विकल्प नहीं हैं. शायद यही वजह है कि कांग्रेस के भी बड़े नेता पार्टी छोड़ दूसरी पार्टियों का दामन थाम रहे हैं.
सवाल ये है कि आखिर वो कौन है जो नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को 2024 में चुनौती दे सकता है? ऐसा लगता है कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता (Mamata Banerjee) बनर्जी इस चुनौती को स्वीकार करने की तैयारी में जुट गई हैं. क्योंकि बंगाल विधान सभा चुनाव में बीजपी को जबरदस्त मात देने के बाद ममता बनर्जी ने अपने आप को नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक नए विकल्प के रूप में पेश करना शुरू कर दिया है. ममता के इस अभियान को अमलीजामा पहनाने का काम उनके राजनीतिक सलाहकार प्रशांत किशोर कर रहे हैं.
बंगाल में जीत के बाद बढ़ा ममता का कद
वैसे तीसरी बार बंगाल चुनाव जीतने के बाद से ही ममता का कद बढ़ने लगा है और ये चर्चा ते हो गई है कि 2024 के लिए राहुल गांधी से कहीं बेहतर विकल्प ममता बनर्जी हैं. इस वजह से दोनों दलों में खटास भी बढ़ने लगी है. TMC के नेता खुलकर ममता को 2024 के लिए नरेंद्र मोदी के सामने विकल्प बताने लगे हैं. यही नहीं राहुल गांधी द्वारा बुलाई गई विपक्ष की बैठकों में शामिल नहीं होकर TMC ने ये साफ संदेश दिया कि उन्हें विपक्ष के नेता के तौर पर राहुल गांधी मंजूर नहीं हैं.
पिछले मानसून सत्र में राहुल गांधी ने जब सभी विपक्षी दलों को ब्रेकफास्ट मीटिंग के लिए कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में बुलाया, तो TMC उस बैठक में नहीं गई. TMC के नेताओं का तो यहां तक कहना था कि राहुल गांधी न तो विपक्ष के नेता हैं और न ही कांग्रेस के अध्यक्ष, ऐसे में वो किस हैसियत से विपक्षी दलों की बैठक बुला रहे हैं. इसी तरह किसानों के समर्थन में राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों के नेताओं ने संसद भवन से विजय चौक तक का जो प्रोटेस्ट मार्च किया, उसमें भी TMC शामिल नहीं हुई.
कांग्रेस छोड़ TMC में जा रहे नेता
अब बात उससे भी आगे बढ़ गई है. चुनाव जीतने के बाद जब पिछली बार ममता दिल्ली आई थीं तो उन्होंने सोनिया गांधी से मुलाकात की थी और उस बैठक में राहुल भी थे. लेकिन इस बार ममता ने अपने 4 दिनों के दिल्ली दौरे के दौरान सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात नहीं करके अपनी दावेदारी को और मजबूत कर दिया है.
अब ममता ने कांग्रेस को और कमजोर करने का काम भी शुरू कर दिया ताकि ये मैसेज जाए कि कांग्रेस के लोग भी राहुल नहीं ममता को ही नेता मानते हैं. पिछले कुछ महीनों में कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने TMC का दामन थाम लिया है, जिनमें महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं सुष्मिता देव, गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेता लिईजिन्हो फेलेरियो, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी, कमला पति त्रिपाठी के प्रपौत्र ललितेश त्रिपाठी, कीर्ति आजाद और हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर का नाम शामिल है.
टीएमसी को बागी नेताओं की तलाश
ममता बनर्जी पर एक राज्य के मुख्यमंत्री और एक राज्य की पार्टी होने का आरोप लगता है. इसीलिए उन्होंने देश के सभी राज्यों से कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं को तोड़ने का काम शुरू किया है. चूंकि ममता बनर्जी भी लंबे समय तक कांग्रेस में रही हैं इसीलिए उनके संपर्क में कांग्रेस के तमाम बड़े नेता हैं. जिन भी नेताओं को राहुल गांधी के नेतृत्व पर भरोसा नहीं है या जिनको भी पार्टी में मौका नहीं मिल रहा है वो ममता बनर्जी को राहुल गांधी से बेहतर विकल्प मानने लगे हैं.
वैसे कहने को देश के कई और विपक्षी दलों के नेता भी नरेंद्र मोदी को चुनौती देने की क्षमता रखते हैं. उनमें से शरद पवार का नाम भी है, वो अनुभवी भी हैं और विपक्षी दलों की सहमति भी उनके नाम पर हो सकती है. लेकिन स्वास्थ्य और उम्र उनके राह में बड़ा रोड़ा है. दिल्ली में बीजपी को 2 चुनाव हराने वाले अरविंद केजरीवाल का भी नाम चुनौती देने वालों की लिस्ट में जोड़ा जा सकता है. अखिलेश और तेजस्वी यादव अभी अपने-अपने राज्य में संघर्ष में लगे हैं.
क्या प्रशांत किशोर करेंगे कमाल?
ऐसे में ममता बनर्जी इन नेताओं से काफी आगे दिख रही हैं. क्योंकि वो 3 बार की मुख्यमंत्री हैं, महिला हैं, जुझारू नेत्री हैं और उनके साथ प्रशांत किशोर हैं, जिनका ट्रैक रिकॉर्ड चुनावी राजनीति और रणनीति को लेकर ठीकठाक माना जाता है. ऐसे में ममता बनर्जी के लगातार बढ़ते प्रभाव और उनकी पार्टी से जुड़ने का रुझान देखकर ये कहा जा रहा है कि 2024 के लोक सभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी को चुनौती देने की क्षमता तो अब ममता बनर्जी में ही है.
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